जनसंख्या से तात्पर्य एक सीमित क्षेत्र मे रहने वाले व्यक्तियो की संख्या से है. जब किसी क्षेत्र मे रहने वाले व्यक्तियो की संख्या आवश्यकता से अधिक हो जाए, तो उसे जनसंख्या वृद्धि कहते है. अब सवाल यह उठता है कि यह कैसे पता चलेगा कि किसी स्थान की जनसंख्या अधिक है. इसका उत्तर भी साफ है, जब किसी क्षेत्र के युवाओ के लिए आमदनी के साधन कम मतलब नौकरी के लिए भटकना पड़े या किसी परिवार को अपनी दो वक़्त की रोटी के लिए अत्याधिक परिश्रम करना पड़े, तो निश्चित ही वहा की जनसंख्या आवश्यकता से अधिक होने लगी है. आपको बता दें कि हर साल विश्व भर में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है.
अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न होने वाले मुद्दे पर विश्व का ध्यान आकर्षित करना और उनकी रोकथाम के लिए आवश्यक सामूहिक उपाय भी करना जैसे गरीबी, बेरोजगारी और मानव गुणवत्ता सूचकांक, जनसंख्या वृद्धि / जनसंख्या विस्फोट की दिशा में ताजा रुझान पर जनता को जागरूक और शिक्षित करना और यह अर्थव्यवस्था और विकास को कैसे प्रभावित करता है जैसे मुद्दे जो जनसंख्या वृद्धि से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। इन मुद्दो कि तरफ ध्यान आकर्षित किरने के लिए विश्व भर में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता हैl
सर्वप्रथम विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया गया?
विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में बढती आबादी के कारण होने वाले दुष्प्रभावों और इससे जुड़े अन्य मुद्दों और इसके महत्व पर ध्यान केंद्रित करना है. विश्व जनसंख्या दिवस का अवलोकन करने की आवश्यकता सबसे पहले 1989 में संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल द्वारा व्यक्त की गई थी; 11 जुलाई, 1987 के ठीक दो वर्ष बाद वैश्विक जनसंख्या लगभग 5 बिलियन तक पहुँच गई। इसलिए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1990 में 45/261 प्रस्ताव पारित किया, जिसमें 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस को वार्षिक रूप में मनाया जाना तय हुआ। संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शन में पहला विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई, 1991 को मनाया गया था। तब से हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता हैl साल 2022 में 35 वां विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है l
"विश्व जनसंख्या दिवस" मनाया जाना क्यों आवश्यक है?
2020 की पहली तिमाही में वर्तमान विश्व जनसंख्या 7.8 बिलियन है और अनुमानित वैश्विक जनसंख्या वृद्धि हर साल लगभग 83 मिलियन है। इस दर से विश्व की जनसंख्या 2030 तक 8.6 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2050 तक 9.8 बिलियन और सदी के अंत तक 11.2 बिलियन तक पहुंच जाएगी। जनसंख्या में वृद्धि, इस तथ्य के अतिरिक्त कि उपलब्ध संसाधनों का ढेर एक समान रहता है, और बाद वाले पर इसे लेकर तनाव से ज्यादा और कुछ भी देखने को नहीं मिलेगा। आवेदकों की तुलना में कहीं कम नौकरियां होंगी; चिकित्सा देखभाल, इत्यादि की आवश्यकता वाले रोगियों की तुलना में स्वास्थ्यकर्मी भी कम होंगे। इस तरह से शिक्षा, परिवहन, उपभोग, आदि तमाम क्षेत्रों में स्थिति कमोबेश एक जैसी होगी। इसके अलावा, विशाल आबादी भारी मात्रा भी पानी, भोजन, ईंधन, आदि जैसे आवश्यक संसाधनों की अत्यधिक खपत करेंगी नतीजन, ये सभी संसाधन जल्द ही समाप्ति की ओर बढ़ेंगे, अफसोस की बात तो है कि जिस स्तर से जनसँख्या बढ़ती जा रही उसी दर से हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन नहीं कर सकते हैं। विकासशील देशों जैसे भारत, चीन, श्रीलंका आदि में स्थिति सबसे खराब होगी, जिसमें पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों जैसे अंगोला, बुरुंडी, आदि जो बेहद कम विकसित देश हैं उनका तो उल्लेख ही नहीं किया जा सकता है।
विश्व जनसंख्या दिवस में कैसे भाग लें?
विश्व जनसंख्या दिवस में भाग लेने का सबसे अच्छा तरीका लोगों को जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों से अवगत कराना और उन्हें परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण के अन्य सामान्य तरीकों के बारे में शिक्षित करना होगा। आप या तो इस संबंध में काम करने वाले किसी एनजीओ से जुड़ सकते हैं या अपने इलाके में स्वेच्छा से काम कर सकते हैं। आप जागरूकता और शिक्षा को जन-जन तक फैलाने के लिए उपलब्ध पूरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मदद भी ले सकते हैं।
विश्व जनसंख्या दिवस - भारत
भारत की वर्तमान जनसंख्या तक़रीबन 1.36 बिलियन है। यह भारत को चीन के बाद दुनिया में दूसरी सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में रखता है और अपने बढती गति के साथ 2022 में चीन को भी पार कर जाने की काफी अधिक संभावना है। भारत एक विकासशील राष्ट्र है जो 2019 में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार मानव विकास सूचकांक की मध्यम श्रेणी में आता है। सबसे तेजी से बढ़ती विश्व अर्थव्यवस्था बनने के कगार पर होने के बावजूद, भारत - गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, और भ्रष्टाचार, आदि जैसे मुद्दों से जूझ रहा है।
इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि केवल स्थिति को खराब करेगी, भारत सरकार विश्व जनसंख्या दिवस को मनाती है, इस कारण के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित करती है। गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय प्रशासनिक निकायों के साथ समन्वय में सरकार जमीनी स्तर पर जनता के संपर्क में रहती है। लोगों को जीवन की गुणवत्ता और संसाधनों की उपलब्धता पर जनसंख्या के प्रभाव के बारे में शिक्षित किया जाता है। कार्यकर्ता और स्वयंसेवक लोगों को गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन से सम्बंधित शिक्षा सामग्री वितरित करते हैं।
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण
हमारे देश में लगातार बढ़ती जनसंख्या के चलते बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिसके पीछे देश की जरुरत से ज्यादा आबादी है। इस से देश का विकास भी बाधित हो रहा है। सरकार के जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए नागरिकों को प्रेरित करने के प्रयास भी बहुत ज्यादा सफल होते नहीं दिख रहे। और आये दिन जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। इसके पीछे देश में अन्धविश्वास और साक्षरता की कमी को जिम्मेदार मान सकते हैं। हम देश में ये मानने वाली सोच को जिम्मेदार मान सकते हैं जो कहती है कि –
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जितने ज्यादा बच्चे होंगे उतने ही ज्यादा कमाने वाले होंगे।
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बच्चे ईश्वर की देन हैं।
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बेटा घर का कुलदीपक है और इसी सोच के लिए बेटे की चाह में जन्म देते रहना।
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कम उम्र में शादी करवा देना।
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परिवार नियोजन जैसे वीसहयों पर जागरूकता की कमी
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असाक्षर होना
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किशोरियों और महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता की कमी।
जनसंख्या विस्फोट से होने वाले नुकसान
विश्व में दिन प्रतिदिन बढ़ रही जनसंख्या में सबसे पहला नाम एशिया के देश चीन का है और फिर दूसरे नंबर पर हमारा देश भारत आता है। विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट एक गहन चिंतन का विषय है। जनसंख्या में लगातार होने वाली बढ़ोतरी विकासशील देशों के विकास में घातक सिद्ध हो सकती है। आइये समझते हैं कैसे ?
देश में अधिक जनसंख्या होने से संसाधन और सुविधाओं में कमी आ सकती है।
बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ेगी , हर किसी को उनकी योग्यतानुसार रोजगार मिलना मुश्किल हो जाता है। जैसे की वर्तमान में देख सकते हैं।
आज विश्व में रोजाना सैकड़ों लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं और भोजन न मिलने से मृत्यु के ग्रास बन रहे हैं।
वर्तमान में बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या विस्फोट का ही एक परिणाम है। क्यूंकि संसाधनों की कमी हो रही है और इसे पाने के लिए सभी को अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।
कई संसाधनों में जैसे कि खाद्य पदार्थों में मिलावट होना , और साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में कई चीजों की कमी होना भी बढ़ती जनसंख्या का ही असर है।
देश में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर में आयी गिरावट भी अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ी हुई जनसंख्या का ही असर है , जिसे अब सरकार बेहतर बनाने के लिए हर प्रयास कर रही है।
पर्यावरण पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव दिख रहा है। ग्लोबल वार्मिंग , असमय मौसम , प्राकृतिक आपदाएं आदि इसक प्रमाण हैं।
पीने का पानी , हवा और भूमि आदि प्रदूषित हो चुके हैं। ये सब जनसंख्या विस्फोट का असर है।
भारत में बढती जनसंख्या पर नियंत्रण कैसे किया जाए?
किसी घर के कमरे मे अपने कम्प्युटर के सामने बैठकर यह तय कर पाना की भारत जैसे अनेकता से भरे देश मे जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कैसे किया जाए, नामुमकिम है. भारत विश्व का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, ऐसे में जनसंख्या पर रोक लगाना कितना आवश्यक है यह हम सब जानते हैं. भारत में जनसंख्या अधिक होने का एक कारण यह भी है की अभी भी लोग जागरूक नहीं है. ऐसे में सरकार चाहे तो समय-समय पर लोगों को बढती जनसंख्या के खतरों के बारें में बताकर उन्हें जागरूक कर सकती है. बढती जनसंख्या पर रोक लगाने के लिए सरकार चाहे तो कोई ऐसा नियम बना सकती है या कानून लागु कर सकती है जिसकी मदद से भारत में जनसंख्या को कंट्रोल किया जा सके. परंतु फिर भी ऐसी कई बाते है जिन्हें अगर हर कोई ध्यान मे रखे, तो शायद जनसंख्या वृद्धि की दर कम होगी. कुछ कारण ऐसे है जिनपर मैं यहाँ प्रकाश डालना चहुंगी .
बलिकाये जिनका विवाह कम आयु मे हो गया है, वे केवल दो बच्चो को जन्म देने की सोच रखे तथा अपने परिवार को एक अच्छी परवरिश दे.
परिवार कल्याण जैसे कार्यक्रमों को समझे तथा उन्हे उपयोग मे लाये. विज्ञापनो और उनसे दी जाने वाली जानकारी को समझने की कोशिश करे.
हमारी आने वाली पीढ़ी को शिक्षित और नए विचारो से समृध्ध बनाए.
यह विचार करने योग्य बात है कि भारत के उत्तरी राज्यो मे जनसंख्या वृद्धि की दर ज्यादा है.
विश्व जनसंख्या दिवस 2022 थीम
यूनाइटेड नेशन द्वारा प्रति वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस के लिए विभिन्न प्रकार की थीम रखी जाती हैं, और उस थीम को ध्यान में रखते हुए ही कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते हैं. हर साल इस दिन मानाने के लिए एक थीम रखी जाती है. 2022 के लिए भी कोई थीम होगी, लेकिन अभी तक इससे सम्बन्धित जानकारी की घोषणा नहीं हुई हैं. गत कुछ वर्षों में इसके लिए निम्न थीम का उपयोग हुआ हैं –
साल 2014 :- जनसंख्या से सम्बंधित मुद्दों में युवाओं के योगदान को देखने का समय (अ टाइम टू रिफ्लेक्ट ऑन पोप्युलेशन ट्रेंड्स एंड रिलेटेड इश्यू एंड इन्वेस्टिंग इन यंग पीपल) [A time to reflect on population trends and related issues” and “Investing in Young People]
साल 2015 :- आपातकाल में जनसंख्या की अतिसम्वेदनशील स्थिति (वलनरेबल पोप्युलेशन इन इमरजेंसी) [Vulnerable Populations in Emergencies]
साल 2016 :- टीनएज की लडकियों पर ध्यान देना (इन्वेस्टिंग इन टीनएज गर्ल) [Investing in teenage girls]
साल 2017 :- परिवार नियोजन: नागरिकों का सशक्तीकरण,विकासशील देश (फैमिली प्लानिंग:एमपोवेरिंग पीपल,डेवेलपिंग नेशन) [Family Planning: Empowering People, Developing Nations”]
साल 2018 :- परिवार नियोजन मानवाधिकार हैं (फैमिली प्लानिंग इज ह्यूमन राईट)[ Family Planning is a Human Right]
साल 2019 :- फैमिली प्लानिंग: इम्पावरिंग पीपल, डिवेलपिंग नेशन्स
साल 2020 :- कोविड-19 की रोकथाम: महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ और अधिकारों की सुरक्षा कैसे हो
साल 2021 :- कॉविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव
साल 2022 :- इसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी.
विश्व जनसंख्या दिवस कैसे मनाया जाता हैं?
यह दिवस युवा महिलाओं और पुरुषों सभी के लिए होता है,जिससे समाज के हर वर्ग में जनसंख्या वृद्धि के प्रति जागरूकता लाई जा सके.
समाज में प्रत्येक जोड़े को स्वास्थ सुरक्षा के प्रति जागरूक करना आवश्यक हैं.
लडकियों के अधिकारों की रक्षा करना और इसके लिए कानून बनाना भी इसमें शामिल हैं. विवाह सम्बन्धों से जुडी जिम्मेदारियों के प्रति सजग होना जरुरी हैं.
इस तरह के आयोजन में भाग लेकर लोगों में जनसंख्या और इससे जुड़े विभिन्न मुद्दों जैसे बढ़ती जनसंख्या, जननी और बच्चे का स्वास्थ्य, गरीबी, मानवाधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार से सुरक्षा और निरोध के उपयोग पर जागरुकता लायी जा सकती हैं.
इन सबके अलावा भारत जैसे विकासशील देशों में जहां अब भी बाल विवाह देखा जाता हैं और कम उम्र में ही गर्भधारण गम्भीर विषय है, यहाँ भी इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाया जा सकता हैं.
बालिका शिक्षा,बाल विवाहभी काफी महत्वपूर्ण और आवश्यक मुद्दे हैं, इन्हें भी विश्व जनसंख्या दिवस के जागरूकता अभियान में शामिल किया जा सकता हैं.
विश्व जनसंख्या दिवस पर इवेंट्स
विश्व जनसंख्या दिवस पर पूरे विश्व में कई तरह के इवेंट्स आयोजित किये जाते हैं, जिनमें वाद-विवाद,शैक्षिक कार्यक्रम,जानकारियाँ देने सम्बन्धित विभिन्न कार्यशालाएं आयोजित करवाई जाती हैं.
विश्व जनसंख्या दिवस के स्लोगन / नारे
- विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य भविष्य की भीड़ कम करना हैं.
- विश्व जनसंख्या दिवस मनाने से जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता हैं.
- जनसंख्या विस्फोट के कारण होने वाले शोषण से धरती को बचाए.
- धरती पर रहने की पर्याप्त जगह बनाने के लिए इस केम्पेन में शामिल होना चाहिए.
- जनसंख्या नियंत्रण के लिए अपने खुदके बच्चे को जन्म देने के स्थान पर एक बच्चा गोद ले.
- धरती को जनसंख्या विस्फोट से बचाइए.
- भुखमरी से बचने के लिए जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करे.
- भविष्य के सुखद जीवन के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण करें.
- विश्व जनसंख्या दिवस मनाकर जनसंख्यावृद्धि के खिलाफ आवाज़ उठायी जा सकती हैं.
- जनसंख्या नियंत्रण करना मुश्किल हैं लेकिन नामुमकिन नहीं.
निष्कर्ष
जनसंख्या वृद्धि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसपर दुनिया द्वारा तुरंत ठोस कदम उठाना चाहिए। अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि संसाधन उपलब्धता को बेहद सीमित करती है और जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से बाधित करती है। यह न केवल समय की जरूरत है बल्कि विश्व के अन्य राष्ट्रों की जिम्मेदारी भी है कि वे इस संबंध में आवश्यक सामूहिक और व्यक्तिगत कदम उठाएं। भारत जैसे देश, जो अभी भी विकासशील चरण में हैं, अगर वो कभी भी विकसित राष्ट्रों की लीग में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें इस मुद्दे को और अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। विश्व जनसंख्या दिवस एक महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित करता है जो सीधे पृथ्वी पर जीवन की गुणवत्ता से संबंधित है और यह सभी राष्ट्रों द्वारा पूरी भागीदारी के साथ देखा जाना चाहिए। जनसंख्या विस्फोट हमारे संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डालता है जिससे या तो हम वंचित रह जाते हैं या हमारे जीवन की गुणवत्ता बिगड़ जाती है।