WOMEN'S LEGAL RIGHTS ACCORDING TO INDIAN PENAL CODE (IPC) IN INDIA

 कानून मुख्य रूप से संसद और राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाया जाता है। संसद के दोनों सदनों से पास होकर आने वाले बिल को जब राष्ट्रपति की अनुमति मिल जाती है तब वह अधिनियम बन जाता है।अधिनियम को अंग्रेजी में एक्ट कहा जाता है। जैसे भारतीय संविदा अधिनियम, 1872, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, भारतीय दंड संहिता 1860, अधिवक्ता अधिनियम, 1961 इत्यादि। अधिनियम को आवश्यकता के अनुरूप भिन्न भिन्न धाराओं में बांटा जाता है। एक अधिनियम में अनेक धाराएं ही नहीं अपितु इसमे अन्य सामग्री भी होती है। जैसे उपधारा, खंड, और अनुसूची। दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 में कुल 484 धाराएं है और दो अनुसूची है। इन 484 धाराओं को कुल 37 अध्याय में विभाजित किया गया है। इस ही तरह अधिनियम को अलग अलग अध्याय में बांट दिया जाता है जिससे उसे पढ़ने में सहायता रहे और किसी भी तरह का भ्रम पैदा नहीं हो। यही अधिनियम सारे कानून का स्त्रोत होता है। देश और राज्य का सभी कानून इन अधिनियमों में से ही निकल कर आता है।

 

हमारे समाज में कई महिलाएं शिक्षित होने के बावजूद अपने कानूनी अधिकारों से वंचित रह जाती हैं. हालांकि, ये सबके साथ नहीं होता, लेकिन भारतीय समाज की महिलाओं का एक बड़ा वर्ग आज भी अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं है. हमारा भारतीय संविधान (Indian Constitution) देश की महिलाओं को कई अधिकार प्रदान करता है, जिसके बारे में हर नारी को जानना जरूरी है. इसलिए हम आज ऐसे 4 कानून के बारे में बात करेंगे, जो हर महिला या लड़की को याद होने चाहिए. देशभर में होने वाले सभी प्रकार की सेमिनार अथवा कार्यक्रमों में पुरुषों द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए वचनबद्धता दोहराई जाती है। एक प्रकार से जिस दिन यह बताया जाता है कि सुरक्षा के मामले में महिलाएं, आज भी पुरुषों पर डिपेंड करती है। हम आपको बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता ने महिलाओं को कुछ ऐसे सुरक्षा आवरण दिए हैं, जिनके बारे में यदि महिलाओं को जानकारी हो गई तो उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए कोई मोर्चा नहीं निकालना पड़ेगा।  याद रखिए, जेल किसी को अच्छी नहीं लगती। जंगल का राजा भी सलाखों के पीछे जाने से डरता है।

 

WOMEN'S LEGAL RIGHTS ACCORDING TO THE INDIAN PENAL CODE (IPC) IN INDIA

 

Maternity Benefits Act (2017)
 

मैटरनिटी बेनिफिट्स एक्ट 2017 प्रेग्नेंसी के दौरान वर्किंग महिलाओं के हितों की रक्षा करता है. अक्सर कामकाजी महिलाओं के साथ ये समस्या आती है कि जब वो गर्भवती होती हैं, तो संस्थान का व्यवहार बदल जाता है. लेकिन इस एक्ट के अनुसार हर संस्थान को अपनी महिला कर्मचारी को प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ विशेष सुविधाएं प्रदान करनी होंगी. इस एक्ट की कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं, जो आपको जानना चाहिए...

1. Maternity Benefits Act 1961 के तहत पहले 12 हफ्तों की छुट्टी दी जाती थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया है.
2. यह एक्ट महिला कर्मचारियों को रोजगार की गारंटी देने के साथ-साथ उन्हें मैटरनिटी बेनिफिट का हकदार बनाता है, जिससे वे बच्चे की देखभाल कर सकें.
3. इस एक्ट के अनुसार महिला कर्मचारियों को पूरी सैलरी दी जाती है.
4. यह कानून सरकारी और प्राइवेट संस्थाओं पर लागू होता है, जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों.
5. इसमें खास बात यह है कि महिलाओं को पहले और दूसरे बच्चे के लिए 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव का प्रावधान है, जबकि तीसरे या उससे ज्यादा बच्चों के लिए सिर्फ 12 हफ्ते की छुट्टी मिल सकती है.
6. अगर महिला बच्चे को गोद लेना चाहती है तो उसके लिए भी प्रावधान है. 3 महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली या सरोगेट माताओं को 12 हफ्तों की छुट्टी दी जाएगी.
7. अगर कोई कंपनी या संस्ठा इस कानून का पालन नहीं कर रही है, तो उसके मालिक को सजा हो सकती है. इस एक्ट के तहत जुर्माना और सजा का प्रावधान है.
8. इस एक्ट की सबसे खास बात यह है कि छुट्टियां लेने के लिए यह जरूरी है कि महिला ने उस संस्थान में 12 महीनों में कम से कम 160 दिन काम किया हो. 

 

Protection of Women from Domestic Violence (2005)
 

घरेलू हिंसा अधिनियम (2005) यह महिलाओं के लिए सबसे अहम कानून है. यह कानून महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है. हमारे समाज में स्त्री के साथ हिंसा की खबरें रोज ही आती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के होते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्या है घरेलू हिंसा कानून. दरअसल, किसी भी महिला के साथ घर की चारदीवारी के अंदर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा, मारपीट, उत्पीड़न आदि के मामले इसी कानून के तहत आते हैं. इसके अलावा, महिला को ताने देना, गाली देना, उसका अपमान करना, मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना, शादी के लिए बाध्य करना, आदि जैसे मामले भी घरेलू हिंसा के दायरे में आते हैं. 

इस कानून के अंतर्गत महिलाओं को मिलती है ये मदद


- घरेलू हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला जज से बचावकारी आदेश ले सकती है.  इसके लिए वह खुद लड़ सकती है या फिर वकील भी ले सकती है.
-  इस कानून की खात बात यह है कि इसमें महिला की मदद के लिए कोई भी (पड़ोसी, परिवार का सदस्य, संस्ठा, आदि) न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है. बस महिला की सहमति होनी चाहिए.
- इस कानून के हिसाब से जज को 3 दिन में संज्ञान लेना होगा और 60 दिन के भीतर फैसला भी सुनाना होगा.
- इस कानून का मकसद ही घरेलू रिश्तों में हिंसा झेल रहीं महिलाओं को तत्काल और आपातकालीन राहत पहुंचाना है. 
- अगर किसी महिला के साथ घरेलू हिंसा हुई है तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा और अपराधी को सजा हो सकती है.

 

Hindu Succession (Amendment) Act (2005)
 

यह एक्ट भारत की सभी हिंदू महिलाओं को पिता की संपत्ति पर बेटे की तरह ही अधिकार देता है. साल 2005 में इस अमेंडमेंट ने परिवार के बेटो और बेटियों के बीच संपत्ति बांटने के अधिकार को आगे बढ़ाया था. जैसे कि बेटियों की शादी के बाद भी उनके पिता की संपत्ति पर समान अधिकार होता है.

 यह एक्ट किस पर लागू होता है?
-  ये एक्ट सभी हिंदू परिवारों, जिनका जन्म हिंदू माता-पिता से होता है या वे हिंदू धर्म में परिवर्तित होते हैं. जैसे सिख, जैन और बौद्ध भी हिंदू कानून में शामिल हैं.
 - जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने हिंदू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन की व्याख्या करते हुए कहा था कि अगर कानून संशोधन से पहले भी किसी पिता की मृत्यु हो गई हो, तब भी उसकी बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा.

 

कुंवारी हो या शादीशुदा, अधिकार बराबर


हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के मुताबिक, लड़की चाहे कुंवारी हो या शादीशुदा, वो पिता की संपत्ति में हिस्सेदार मानी जाएगी. 2005 के इस संशोधन के बाद बेटियों को भी वही अधिकार मिल गए, जो पहले सिर्फ बेटों के पास थे.

 

बेटी को पुश्तैनी संपत्ति में भी अधिकार


इस कानून की खास बात ये है कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में भी हक मिल सकेगा. यानी अब परदादा की संपत्ति पर भी बेटी का हक बेटे के समान ही रहेगा. हालांकि, पैतृक संपत्ति पर सभी लोगों का हिस्सा होता है, लेकिन खुद से अर्जित की हुई संपत्ति में शख्स को ये अधिकार होता है कि वो वसीयत के जरिए इसका बंटवारा कर सकता है. तो हिंदू उत्तराधिकार संशोधित अधिनियम 2005 के बाद ये साफ है कि पिता की संपत्ति पर एक बेटी भी बेटे के समान अधिकार रखती है.

 

4. यौन उत्पीड़न
 

The sexual harassment of women at workplace Prevention, Prohibition, and Redressal Act 2013 महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए पारित किया गया है. यह अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013 को प्रभाव में आया था. इसके बाद इसे 3 फरवरी 2013 से प्रभावी माना गया.  

यौन उत्पीड़न क्या है?

  •  महिला से सेक्शुअल फेवर की चाहत रखते हुए उसके साथ किया कोई भी व्यवहार यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है.
  •  किसी महिला की तारीफ करना गलत नहीं, लेकिन गलत इरादे से बार-बार तारीफ करना.
  •  किसी महिला को अश्लील इशारे करना, अश्लील मैसेज भेजना या फिर अश्लील तस्वीरें या साहित्य दिखाना.
  • किसी भी महिला को पॉर्न दिखाना या दिखाने का प्रयास करना.

 

किस धारा के तहत दर्ज होगा मामला
 

अगर कोई आदमी किसी महिला को सेक्शुअल नेचर का टच करता है, तो उस मामले में आईपीसी की धारा-354 ए के तहत केस दर्ज किया जाएगा.
अगर कोई आदमी महिला से सेक्शुअल डिमांड करता है तो उस मामले में आईपीसी की धारा-354 ए के तहत केस दर्ज किया जाएगा.
अगर कोई आदमी महिला का पीछा करता है, चाहे वो सोशल मीडिया पर ही क्यों न हो, तो उसे धारा-354-डी के तहत कठोर कारावास की सजा, जुर्माना या दोनों लगाए जा सकते हैं.
कोई आदमी किसी महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ पॉर्नोग्राफी दिखाता है, तो ऐसे मामले में आईपीसी की धारा-354 ए के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है.
अगर कोई व्यक्ति महिला को सेक्शुअल कमेंट करता है, तो इस मामले में आईपीसी की धारा-354 ए  के तहत मामला दर्ज होगा. 

 

महिलाएं शिकायत कहां कर सकती हैं?

 सबसे पहले महिला पुलिस के पास शिकायत कर सकती है.
अगर कोई महिला पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती, तो पुलिस खुद घर आकर महिला की शिकायत सुन सकती है.
महिला जहां चाहे वहां पुलिस को शिकायत कर सकती है. इसके लिए पुलिस महिला पर पुलिस स्टेशन में ही आकर शिकायत करने का दबाव नहीं बना सकती. अगर पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती है, तो महिला सीधे कोर्ट जा सकती है.

 

5  यदि कोई, महिला को देखकर अश्लील गाने गाता है क्या करें ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के अंतर्गत सार्वजनिक स्थान पर बुरी गालियां देना, अश्लील गाने गाना जो कि सुनने पर बुरे लगें का दंडनीय प्रावधान हैं।                                            दण्ड:- संज्ञेय अपराध 3 माह की कारावास या जुर्माना या दोनो।अपराध का संज्ञान किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा लिया जा सकता है।

 

6  यदि कोई, महिला को अश्लील वीडियो सेंड कर दे तो क्या करें ?

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354, 354 (क, ख,ग, घ, ङ) के अंतर्गत महिला की लज्जाशीलता भंग करने के लिए उसके साथ बल का प्रयोग करना, महिलाओं को अश्लील वीडियो दिखाना, भेजना, पीछा करना, कमजोर करनें के उद्देश्य से हमला करना, नातेदार या अन्य व्यक्ति द्वारा स्त्री की लज्जा भंग करना। 

दण्ड:- सारे अपराध संज्ञेय होते हैं, सजा कम से कम 1 वर्ष से अधिकतम सात वर्ष तक कि होती है।

 

7  यदि कोई, शादी के लिए महिला को उठा ले जाए तो क्या करें?

1 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 363 के अंतर्गत विधिपूर्ण संरक्षण से महिला का अपहरण करना। 

दण्ड:- संज्ञेय अपराध है, सजा - सात वर्ष और जुर्माना भी साथ में।

2  भारतीय दण्ड संहिता की धारा 364 के अंतर्गत हत्या करने के उद्देश्य से महिला का अपहरण करना। 

दण्ड:- संज्ञेय अपराध एवं अजमानतीय अपराध सजा- आजीवन कारावास के साथ जुर्माना।

3 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 366 के अंतर्गत किसी महिला को विवाह करने के लिए विवश करना या उसे भ्रष्ट करने के लिए अपहरण करना।

दण्ड:- संज्ञेय अपराध एवं अजमानतीय सजा - दस वर्ष की कारावास के साथ जुर्माना भी।

 

8  पत्नी से नौकरानी के समान व्यवहार करने वाले के खिलाफ कानून?

1 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 371 के अंतर्गत किसी महिला के साथ दास, नौकरानी के समान व्यवहार।

दण्ड:-संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध। सजा-  दस वर्ष से आजीवन कारावास और जुर्माना भी।

2 18 साल से कम उम्र की लड़की से वेश्यावृत्ति के खिलाफ कानून

3 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 372 के अंतर्गत वैश्यावृत्ति के लिए 18 वर्ष से कम आयु की बालिका को बेचना या भाड़े पर देना।

सजा- संज्ञेय अपराध एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। सजा- दस वर्ष की कारावास के साथ जुर्माना भी।

*【विशेष】*

4  ऐसे प्रकरणों पर विचार न्यायालय द्वारा बंद कमरे में धारा 372 (2) द.प्र.सं. के अंतर्गत किया जाए। उल्लेखनीय है कि 'बलात्कार करने के आशय से किए गए हमले से बचाव हेतु हमलावर की मृत्यु तक कर देने का अधिकार महिला को है' (धारा 100 भा.द.वि. के अनुसार),दूसरी बात साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 (ए) के अनुसार बलात्कार के प्रकरण में न्यायालय के समक्ष पीड़ित महिला यदि यह कथन देती है कि संभोग के लिए उसने सहमति नहीं दी थी, तब न्यायालय यह मानेगा कि उसने सहमति नहीं दी थी। इस तथ्य को नकारने का भार आरोपी पर होगा।

 

9  भारतीय दंड संहिता,1860 की धारा 375 की परिभाषा (बलात्कार का अपराध कब बनता है।)?

जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करता है तो उसे बलात्कार (बलात्संग) कहते हैं। 

बलात्कार का अपराध कब माना जाता है:- 

• महिला की इच्छा के विरुद्ध।

• महिला की सहमति के बिना।

• किसी महिला को डरा-धमकाकर सहमति ली गई हो।

• महिला की सहमति नकली पति बनकर ली गई हो जबकि वह उसका पति नहीं है।

• महिला की सहमति तब ली गई हो जब वह दिमागी रूप से कमजोर या पागल हो।

• महिला की सहमति तब ली गई हो जब वह शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण होश में नहीं हो।

• महिला 18 वर्ष से कम उम्र की है, चाहे उसकी सहमति से हो या बिना सहमति के। 

• 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया सम्भोग भी बलात्कार है।

 

 

10 भारतीय दंड संहिता धारा 376 (क) की परिभाषा

 

पृथक(अलग अलग)/ रहने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ (बलात्संग) सम्भोग करने की दशा में यह अपराध होता है। सजा-  दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

 

1 भारतीय दंड संहिता 376 (ख) की परिभाषा

लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में किसी स्त्री के साथ (बलात्संग) सम्भोग करने की दशा में यह अपराध होता है सजा - पांच वर्ष तक कारावास और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

 

2 भारतीय दंड संहिता की धारा 376-ग की परिभाषा

जेल, प्रतिप्रेषण गृह आदि के अधीक्षक द्वारा(बलात्संग) सम्भोग की स्थिति में यह अपराध होता है। सजा   पांच वर्ष तक की कारावास और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

 

3 धारा 376- घ भारतीय दंड संहिता

अस्पताल के प्रबंधक या कर्मचारीवृन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ(बलात्संग) सम्भोग करेगा तब यह अपराध होगा सजा-  वह दोनों में किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

 

11 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 की परिभाषा 

पत्नी के होते हुए पति अगर दूसरा विवाह कर ले या पत्नी दूसरी शादी कर ले तब अपराध होता है। सजा- सात वर्ष की कारावास के साथ जुर्माना भी। 

 

1 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498 (क) की परिभाषा:-

धारा 498A: किसी महिला के पति के पति या रिश्तेदार उसे क्रूरता के अधीन करते हैं - जो कोई भी, किसी महिला के पति का रिश्तेदार या रिश्तेदार होने के नाते, ऐसी महिला को क्रूरता के लिए दंडित किया जाएगा। तीन साल और जुर्माना के लिए भी उत्तरदायी होगा।
 
स्पष्टीकरण - इस खंड के उद्देश्य के लिए, "क्रूरता" का अर्थ है-
कोई भी ऐसा आचरण जो इस तरह की प्रकृति का है, जिसमें महिला के आत्महत्या करने या महिला के जीवन, अंग या स्वास्थ्य (चाहे मानसिक या शारीरिक) के लिए गंभीर चोट या खतरे की संभावना हो; या
उस महिला का उत्पीड़न जहां इस तरह का उत्पीड़न किसी भी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा के लिए किसी भी गैरकानूनी मांग को पूरा करने के लिए उसे या उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति के साथ जबरदस्ती करने के लिए है या उसकी मांग को पूरा करने में उसके या उसके संबंधित किसी व्यक्ति की विफलता के कारण है। ।

 

सजा:- तीन वर्ष की कारावास के साथ जुर्माना भी।

 

12 समान मेहनताना का अधिकार

इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट में दर्ज प्रावधानों के मुताबिक जब सैलरी, पे या मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते. किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है.

 

13 गरिमा और शालीनता का अधिकार

महिला को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है. किसी मामले में अगर महिला आरोपी है, उसके साथ कोई मेडिकल परीक्षण हो रहा है तो यह काम किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में ही होना चाहिए

 

14 दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा

भारतीय कानून के मुताबिक अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है. इस कानून के तहत, महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) को लिखित शिकायत दे सकती है.

 

15 घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार

भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है. पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते. आरोपी को 3 साल गैर-जमानती कारावास की सजा हो सकती है या जुर्माना भरना पड़ सकता है.

 

16 पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार

किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है. अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है. किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में बयान दे सकती है.

 

17 मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार

लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक बलात्कार की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है. लीगल सर्विस अथॉरिटी की तरफ से किसी महिला का इंतजाम किया जाता है.

 

18 रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार

किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकते. अपवाद में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेड के आदेश को रखा गया है. कानून यह भी कहता है कि किसी से अगर उसके घर में पूछताछ कर रहे हैं तो यह काम महिला कांस्टेबल या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में होना चाहिए.

 

19 वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार

कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है. इसमें वह ईमेल का सहारा ले सकती है. महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिये अपनी शिकायत भेज सकती है. इसके बाद एसएचओ महिला के घर पर किसी कांस्टेबल को भेजेगा जो बयान दर्ज करेगा.

 

20 अशोभनीय भाषा का नहीं कर सकते इस्तेमाल

किसी महिला (उसके रूप या शरीर के किसी अंग) को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक, या सार्वजनिक नैतिकता या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते. ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है.

 

21 महिला का पीछा नहीं कर सकते

आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछे करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ईमेल के जरिये मॉनिटर करने की कोशिश करे.

 

22 जीरो एफआईआर का अधिकार

किसी महिला के खिलाफ अगर अधिकार होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है. जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां अपराध हुआ हो

 

23   धारा 294: अश्लील हरकतें और गाने
जो कोई भी दूसरों की झुंझलाहट के लिए। किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील हरकत करता है, या
बी। किसी भी सार्वजनिक स्थान पर या उसके आस-पास या किसी भी अश्लील गीत, गाथागीत या शब्दों को गाता या गाता है, जो किसी भी शब्द के लिए तीन महीने तक या जुर्माना या दोनों के साथ हो सकता है।
  
24  धारा 509

महिला की शील का अपमान करने के उद्देश्य से किया गया शब्द, इशारा या कार्य। - जो कोई भी किसी महिला की विनम्रता का अपमान करना चाहता है, वह किसी भी शब्द का उपयोग करता है, कोई भी ध्वनि या इशारा करता है, या किसी भी वस्तु का प्रदर्शन करता है, यह इरादा करता है कि ऐसा शब्द या ध्वनि सुनाई देगी। , या कि इस तरह के इशारे या वस्तु को ऐसी महिला द्वारा देखा जाएगा, या ऐसी महिला की गोपनीयता पर घुसपैठ करेगा, उसे एक वर्ष के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जा सकता है, जो एक वर्ष तक, या जुर्माना या दोनों के साथ हो सकता है। 

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