देश के लिए PM मोदी का मंत्र- 'लोकल के लिए वोकल बनना है' (Vocal For Local), समझें क्या हैं इसके मायने-
पीएम मोदी (Narendra Modi) ने ‘जीतो कनेक्ट 2022’ का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने एक बार फिर 'वोकल फॉर लोकल' का नारा दिया। उन्होंने कहा कि भारतीयों को विदेशी वस्तुओं का गुलाम नहीं बनना चाहिए। वह बोले कि हमें विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करनी होगी। पुणे: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक शांति हो या समृद्धि या फिर वैश्विक चुनौतियों से जुड़े समाधान, आज दुनिया भारत की तरफ बड़े भरोसे से देख रही है और भारत भी वैश्विक कल्याण के एक बड़े लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जैन अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठन के ‘‘जीतो कनेक्ट 2022’’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ (Vocal For Local) के मंत्र को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि आजादी के 75 साल का जश्न मनाने के बीच भारतीयों को विदेशी वस्तुओं का गुलाम नहीं बनना चाहिए।
वोकल फार लोकल देश की मजबूती और उन्नति के लिए जरूरी-
विकासशील देशों में एमएसएमई विकास का इंजन है भारत में एमएसएमई से सेक्टर से 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है प्रधानमंत्री जी की ‘वोकल फाॅर लोकल‘ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए जो मूल भावना है उसे लागू करने की जरूरत है। वीडी सावरकर का तर्क है ‘विदेशी प्रतिस्पर्धा के खिलाफ राष्ट्रीय उद्योगों की रक्षा के लिए राज्य द्वारा हर कदम उठाया जाना चाहिए। दीन दयाल उपाध्याय ने स्वदेशी को ‘एकात्म मानववाद के दर्शन का एक अभिन्न तत्व बनाया। दत्तापे तं ठेगं डी के ‘तीसरे तरीके‘ ने पूंजीवाद आरै साम्यवाद दोनों के लिए एक विकल्प दिया। आजादी के संघर्ष में दादाभाई नौरोजी, बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, महादेव गोविंद रानाडे और महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन की अगुवाई की। महात्मा गांधी का तर्क था ‘गांव के उद्योगों के लुप्त हो जाने से गांव विनाश के कगार पर हैं। इन्हें ग्रामोद्योग से पुनर्जीवित किया जा सकता है। स्वतंत्र भारत में 1948 और 1956 के औद्योगिक नीति संकल्पों ने कम पंूजी निवेश के साथ अतिरिक्त रोजगार पैदा करने में ग्रामीण उद्योगों पर जोर दिया। अर्थव्यवस्था में विनिर्माण की हिस्सेदारी 2014 के 15 फीसदी के मुकाबले 2020 में 25 फीसदी हो गई। मंदी से उत्पादन लागत बढ़ाने, खपत में गिरावट और कठोर नियमों की दोहरी मार से योजना अधिक सफल नहीं हुई।
लोकल ने ही हमें बचाया-
PM प्रधानमंत्री ने कहा- गरीब, श्रमिक, प्रवासी मजदूर हों, मछुआरे हों. हर तबके लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा. कोरोना ने हमें लोकल मैन्यूफैक्चरिंग, लोकल सप्लाई चेन और लोकल मार्केटिंग का भी मतलब समझा दिया है. लोकल ने ही हमारी डिमांड पूरी की है. हमें इस लोकल ने ही बचाया है. लोकल सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है.
ग्लोबल ब्रांड पहले लोकल ही थे-
PM मोदी ने कहा- समय ने हमें सिखाया है कि लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा. आपको जो आज ग्लोबल ब्रांड लगते हैं, वो भी कभी ऐसे ही लोकल थे. जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल और प्रचार शुरू किया. उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व किया तो वे प्रोडक्ट्स लोकल से ग्लोबल बन गए. इसलिए, आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है. न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट्स खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है. लोकल से ग्लोबल बनने का यह बड़ा अवसर, इसलिए लोकल के लिए वोकल रहें.
खादी को ब्रांड बनाया-
प्रधानमंत्री ने लोकल प्रोडक्ट्स को लेकर खादी की मिसाल दी. उन्होंने कहा मैं गर्व के साथ एक बात महसूस करता हूं. मैंने एक बार आपसे खादी खरीदने का आग्रह किया था. बहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूम की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. उसे आपने बड़ा ब्रांड बना दिया. बहुत छोटा सा प्रयास था. लेकिन, बहुत अच्छा परिणाम मिला.
विदेशी सामानों का गुलाम नहीं बनना चाहिए-
‘हमें विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करनी होगी। निर्यात के लिए नए स्थान तलाशने होंगे, स्थानीय बाजारों में इसके बारे में जागरूकता पैदा करनी होगी। उत्पाद शून्य दोष और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले होने चाहिए।’’ तीन यूरोपीय देशों की अपनी तीन दिवसीय यात्रा का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने इस दौरान भारत के सामर्थ्य, संकल्पों तथा अवसरों के संबंध में काफी लोगों से चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह की आशा और विश्वास आज भारत के प्रति खुलकर सामने आ रहा है, ये आप सब भी अनुभव करते हैं।’’
वर्तमान समय अभूतपूर्व परिस्थितियों का काल है-
कोरोना, टिड्डी, भूकंप और 41 सालों में पहली बार नकारात्मक आर्थिक विकास, चीन-पाक से सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति। इस चुनौतीपूर्ण माहौल में पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए स्थानीय उत्पादों की खरीद की अपील है। पीएम मोदी का कहना है संकट में लोकल ने ही मांगें पूरी की हैं और बचाया है। स्थानीय जरूरत ही नहीं, जिम्मेदारी भी है। स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर होना न सिर्फ भारतीय कंपनियों के उत्पाद को बढ़ावा देता है बल्कि एमएनसी द्वारा भारत में निर्मित वस्तुओं को भी बढ़ावा देता है। स्थानीय उत्पादकता से रोजगार तो बढ़ेंगे हाइपर-लोकल मार्केट भी बड़ा होगा। इससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। यूपी में ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोग्राम‘ जैसे कार्यक्रमों की सफलता, उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव और स्थानीय उत्पादों के प्रति झुकाव इसे प्रमाणित करते हैं। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पांच स्तंभ अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचना, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग हैं।
विकासशील देशों में एमएसएमई विकास का इंजन रहा है-
वोकल फाॅर लोकल का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत में एमएसएमई 12 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। भारत के विनिर्माण उत्पादन में 34 और निर्यात में 45 प्रतिशत योगदान है। ऑक्सफैम के अध्ययन से साफ है भारत की शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास 73 प्रतिशत संपत्ति व 67 करोड़ नागरिकों (इसमें आधे सबसे गरीब भी) की संपत्ति 2006 और 2015 के बीच 1 प्रतिशत ही बढ़ी। इससे सैन्य-औद्योगिक विकास काॅम्पलेक्स को भी बढ़ावा मिलेगा। भारत ने 02 जून, 2020 तक राज्य-संचालित आयुध कारखानों द्वारा 1,094 करोड़ के 156 उन्नत बीएमपी इन्फैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल्स बनाए। वोकल फाॅर लोकल अभियान में उद्योगों के दायरे को बढ़ाने की क्षमता है, जैसे औद्योगिक बुनियादी ढांचे का उन्नयन, कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन की शुरूआत, खनिज में सुधार, रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता, परमाणु ऊर्जा सुधार और पीपीपी के माध्यम से विश्वस्तरीय एयरपोर्ट का निर्माण। भारतीय कंपनियों ने तत्काल हैंड सेनिटाइज़र, वेंटिलेटर और मास्क जैसी वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने की चुनौती का सफलता से सामना किया। नई सामान्य आवश्यकताएं उद्योगों को एक स्तर का अवसर देने और जमीनी हकीकत को बदलने के लिए ऐसे अभियानों की जरूरत है। सभी हितधारकों के समर्थन के साथ, यह गेम चेंजर हो सकता है और अवधारणात्मक रूप से जमीनी वास्तविकताओं को बदल सकता है।
एमएसएमई सेक्टर की मदद के लिए सरकारी उपाय-
मुश्किल में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सेक्टर की मदद के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। अब सरकारी कंपनियां, केंद्रीय मंत्रालयों और विभाग एमएसएमई से जरूरत से ज्यादा सामान खरीद रहे हैं ताकि सेक्टर की मदद हो सके। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2020-21 में अब तक सरकारी कंपनियां, केंद्रीय मंत्रालयों और विभाग ने 13000 करोड़ रु से ज्यादा का सामान और सेवाएं खरीदी हैं। इसमें से 4,203 करोड़ रुपये की खरीदारी एमएसएमई से की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा वार्षिक खरीद, जिनमें से सरकार के निर्देश के अनुसार 25 प्रतिशत एमएसएमई से खरीदना जरूरी है, पहले से ही 32.22 प्रतिशत की बेहतरीन दर बनाए हुए है। इस बात का खुलासा सार्वजनिक खरीद नीति निगरानी पोर्टल एमएसएमई संबंध पर प्रकाशित आंकड़ों से हुआ है। कितनी एमएसएमई को मिला फायदा सरकार और सरकारी संस्थाओं की तरफ से की जारी खरीद से 11,459 एमएसएमई को फायदा मिला है। इसमें 332 एससी / एसटी उद्यमियों के नेतृत्व वाली एमएमएसई शामिल हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 में 122.68 करोड़ रुपये की वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की। ये एमएमएसई से कुल खरीद की 0.94 प्रतिशत है। सरकार द्वारा जरूरत से ज्यादा एमएसएमई से खरीदारी भारत में बनी चीजों के प्रोडक्शन और खरीदारी पर ज्यादा ध्यान देने के तहत की गई है। चीन के साथ सीमा विवाद के बाद भारत का ध्यान मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स पर है। चीन से आयात घटाने पर जोर सरकार चीनी कंपनियों से भारतीय उद्यमों और छोटे व्यवसायों में आने वाले हर निवेश की जांच बढ़ा रही है। साथ ही सरकार चीन से आयात घटाने पर भी ध्यान दे रही है।
सरकार कोरोना महामारी के चलते भारतीय कंपनियों में अवसरवादी अधिग्रहण पर भी अंकुश लगाना चाह रही है। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने Vocal For Local का आह्वान किया। महिलाओं को ज्यादा फायदा महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार की इस खरीद नीति के तहत लाभान्वित महिलाओं के नेतृत्व वाली एमएसएमई की संख्या चालू वित्त वर्ष में अब तक एससी / एसटी उद्यमियों के नेतृत्व वाले एमएसएमई से अधिक रही। 450 महिला उद्मियों के नेतृत्व वाली एमएसएमई को फायदा मिला, जिन्होंने सरकार को 95.88 करोड़ रु का सामान और सेवाएं बेचीं, जो कुल खरीदारी का 0.73 प्रतिशत है। 2020-21 में अब तक पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सबसे अधिक 1,500 करोड़ रुपये, ऊर्जा मंत्रालय ने 989.6 करोड़ रुपये, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय ने 459.1 रु, रक्षा मंत्रालय ने 396.3 करोड़ रुपये और कोयला मंत्रालय ने 308.3 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। PM मोदी ने कहा आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ सभी पर बल दिया गया है.
Vocal For Local के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा-
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कोरोना संकट में देशवासियों को बड़ा मंत्र दिया है. इकोनॉमी के साथ-साथ देश की कोरोना मुक्त रखने का आत्मनिर्भरता का मंत्र. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं. ये आर्थिक पैकेज,'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा. यह आर्थिक पैकेज 20 लाख करोड़ रुपए का है. ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है. PM मोदी ने कहा आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ सभी पर बल दिया गया है. ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है.
लोकल के लिए वोकल रहे हर देशवासी पीएम मोदी ने माना कि ये संकट इतना बड़ा है कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं. लेकिन, इन्हीं परिस्थितियों में हमने देश ने हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है. आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ (vocal about local) बनना है. हमें न सिर्फ लोकल प्रॉडक्ट्स खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है. लोकल से ग्लोबल बनने का यह बड़ा अवसर, इसलिए लोकल के लिए वोकल रहें.
हर हफ्ते एक यूनिकॉर्न बना रहा है-
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के विकास के संकल्पों को दुनिया अपने लक्ष्यों की प्राप्ति का माध्यम मान रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश प्रतिभा, व्यापार और प्रौद्योगिकी को यथासंभव प्रोत्साहित कर रहा है। आज देश हर रोज़ दर्जनों स्टार्टअप्स रजिस्टर कर रहा है, हर हफ्ते एक यूनिकॉर्न बना रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक शांति या वैश्विक समृद्धि, वैश्विक चुनौतियों से जुड़े समाधान हों या फिर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का सशक्तीकरण हो, दुनिया भारत की तरफ बड़े भरोसे से देख रही है। विशेषज्ञता का क्षेत्र हो या फिर चिंता वाले, चाहे जो भी हों, विचारों में चाहे जितनी भी भिन्नता हो, लेकिन नए भारत का उदय सभी को जोड़ता है।’’
भविष्य का भारत का रास्ता और मंज़िल दोनों स्पष्ट हैं-
‘‘आज सभी को लगता है कि भारत अब संभावनाओं और क्षमता से आगे बढ़कर वैश्विक कल्याण के एक बड़े लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है।’’ भविष्य के भारत का रास्ता और मंज़िल दोनों स्पष्ट है। उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत हमारा रास्ता भी है और संकल्प भी। बीते सालों में हमने इसके लिए हर ज़रूरी माहौल बनाने के लिए निरंतर परिश्रम किया है। सरकारी प्रक्रियाएं पारदर्शी हो गई हैं।’’
'जीतो' के युवा सदस्य नवप्रवर्तक और उद्यमी हैं
वह बोले कि जब सरकार के पास कोशिश करने की इच्छा शक्ति और लोगों का समर्थन होगा तो बदलाव अपरिहार्य है। मोदी ने कहा कि 'जीतो' के युवा सदस्य नवप्रवर्तक और उद्यमी हैं और उन्हें शून्य लागत बजट, खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषि प्रौद्योगिकी, रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य देखभाल पर केंद्रित चक्रीय अर्थव्यवस्था के साथ प्राकृतिक खेती में निवेश करने के लिए कहा। मोदी ने जीतो प्रतिनिधियों से सरकार के जीईएम-मार्केटप्लेस पोर्टल का अध्ययन करने को कहा, जहां 40 लाख विक्रेताओं ने पंजीकरण कराया है।
उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) और स्वयं सहायता समूह से थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को इस नयी व्यवस्था पर भरोसा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब दूरदराज के गांवों के लोग, छोटे दुकानदार और स्वयं सहायता समूह अपने उत्पाद सीधे सरकार को बेच सकते हैं।’’ मोदी ने कहा कि दुनिया भारत को आशा और विश्वास की नजर से देख रही है और यह सभी भारतीयों के लिए गर्व और आत्मविश्वास की भावना है।