विवादित कृषि बिल

भारत में अधिकांश कृषि-वस्तुएं आवश्यकता से अधिक हो चुकी है, लेकिन किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, प्रसंस्करण और निर्यात में निवेश की कमी के कारण अच्छा मूल्य प्राप्त नहीं होता हैं क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम के कारण उद्यमशीलता में कमी आ जाती है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, जबकि पैदावार बहुत अच्छी होती है, तब विशेष रूप से खराब होने वाली वस्तुओं के मामले में। इस कानून से कोल्ड स्टोरेज में निवेश को बढ़ावा देने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी। यह कानून मूल्य स्थिरता लेकर आएगा जिससे किसानों और उपभोक्ताओं को फायदा होगा। इससे प्रतिस्पर्धी बाजार का माहौल तैयार होगा और भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली कृषि उत्पादों की बर्बादी को भी रोका जा सकेगा। लोकसभा के मानसून सत्र में किसानों के हितों में तीन बिल (विधेयक) पारित हुए हैं. कृषि से जुड़े इन तीन अहम विधेयकों पर राजनीति गरमा गई है. पंजाब से लेकर महाराष्ट्र तक कई दल इसका विरोध कर रहे हैं. इन विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था. अब भी दिल्ली की सीमा पर किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में धरना दे रहे हैं. आइए, हम आपको बताते हैं इन विधेयकों में क्या खास है और क्यों इनका विरोध हो रहा है.
 

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020

3 आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020

 

1 कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण)    विधेयक, 2020

 मुख्य प्रावधान

  • एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना जहां किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए, किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
  • यह विधेयक राज्यों की अधिसूचित मंडियों के अतिरिक्त राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए व्यवस्थाएं एवं अवसर प्रदान करेगा।
  • किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा और उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा।
  • विधेयक किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध कराएगा जिससे इलेक्ट्रोनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके।
  • मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फॉर्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी।
  • किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे जिससे बिचौलियों को मिलने वाले लाभ के बजाए किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सके।

 

शंकाएँ

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगा
  • कृषक कृषि उत्पाद यदि पंजीकृत बाजार समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी
  • ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा?

समाधान

  • एमसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।
  • मंडिया समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।
  • मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।
  • इलेक्ट्रानिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी और समय की बचत होगी।                                   

 

2 कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

मुख्य प्रावधान

  • कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।
  • इस विधेयक की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।
  • इससे किसानों की पहुँच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी।
  • इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
  • किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करने की व्यवस्था की गई है।
  • कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।

शंकाएँ

  • अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा और वे कीमतों का निर्धारण नहीं कर पाएंगे
  • छोटे किसान संविदा खेती (कांट्रेक्ट फार्मिंग) कैसे कर पाएंगे? क्योंकि प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।
  • नई व्यवस्था किसानों के लिए परेशानी होगी।
  • विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।

स्पष्टीकरण

  • किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी कि वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेच सकेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा।
  • देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। यह समूह (एफपीओ) छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
  • अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।
  • विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।

 

3 संसद ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया

श्री दानवे रावसाहेब दादाराव के अनुसार यह विधेयक न केवल किसानों के लिए बल्कि उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए भी सकारात्मक माहौल तैयार करेगा कोल्ड स्टोरेज में ज्यादा निवेश, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का आधुनिकीकरण, मूल्य स्थिरता का निर्माण, प्रतिस्पर्धी बाजार का वातावरण और कृषि उपज की बर्बादी को रोकने में यह कानून सहायता करेगा 
अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने वाले प्रावधानों के साथ आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 आज राज्यसभा में पारित कर दिया गया। इससे पहले, बिल को उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, श्री दानवे रावसाहेब दादाराव द्वारा 14 सितम्‍बर, 2020 को लोकसभा में पेश किया गया था, 5 जून 2020 को घोषित किए गए अध्यादेशों के स्थान पर। यह विधेयक लोकसभा द्वारा 15 सितंबर,  2020 को पारित किया गया था।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 का उद्देश्य निजी निवेशकों के व्यावसायिक कार्यों में अत्यधिक विनियामक हस्तक्षेप वाली उनकी शंकाओं को दूर करना है। उत्पादन, संचालन, स्थानांतरण, वितरण और आपूर्ति की स्वतंत्रता से अर्थव्यवस्थाओं को बड़े पैमाने तक पहुंचाने में सहायक होंगें  और इससे निजी क्षेत्र/कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित होगा। यह कोल्ड स्टोरेज में निवेश और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के आधुनिकीकरण में मदद करेगा।

उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने विनियामक वातावरण को उदार बनाते हुए सुनिश्चित किया है इस के साथ संशोधन में यह व्यवस्था की गई है कि युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में ऐसे कृषि खाद्य पदार्थों को विनियमित किया जा सकता है।चूंकि एक मूल्य श्रृंखला भागीदार की स्थापित क्षमता और निर्यातक की निर्यात मांग को ऐसे स्टॉक सीमा लागू करने से छूट प्रदान की जाएगी जिससे यह निश्चित किया जा सके कि कृषि में निवेश हतोत्साहित न हो।

राज्यसभा में पारित होने से पहले विधेयक पर हुए चर्चा के जवाब में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, श्री दानवे रावसाहेब दादाराव ने कहा कि भंडारण सुविधाओं मे कमी के कारण कृषि उपज की बर्बादी को रोकने के लिए यह संशोधन  अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन के माध्यम से न केवल किसानों के लिए बल्कि उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए भी सकारात्मक माहौल का निर्माण होगा और यह निश्चित रूप से हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाएगा। उन्होंने कहा कि इस संशोधन से कृषि क्षेत्र की समग्र आपूर्ति श्रृंखला तंत्र को मजबूती मिलेगी। इस संशोधन के माध्यम से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देकर किसान की आय दोगुनी करने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के सरकार के वचन को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

 

तीन नए कृषि कानूनों के विवाद की वजह

लोकसभा के मानसून सत्र में किसानों के हितों में तीन बिल पारित हुए हैं. खेती से जुड़े इन तीन अहम विधेयकों पर राजनीति गरमा गई है. पंजाब से लेकर महाराष्ट्र तक कई दल इसका विरोध कर रहे हैं. इन विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था. अब भी दिल्ली की सीमा पर किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर  रहे हैं. इन विधेयकों में क्या खास है और क्यों इनका विरोध हो रहा है.आइए, पता करते हैं .....

1-कृषि उत्पादन व्यापार - कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. जैसे बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब है कि एपीएमसी के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री संभव है. इसके साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

 2. मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020

मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज खत्म होगा.

3. आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्‍टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्‍ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्‍यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्‍टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

जानिए क्या है विरोध की वजहें किसान और व्यापारियों को इन विधेयकों से एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका है. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य उपकर हैं. इसके चलते आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा. किसानों को यह भी डर है नए कानून के बाद एमएसपी पर फसलों की खरीद सरकार बंद कर देगी. दरअसल, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में इस संबंध में कोई व्याख्या नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे के भाव पर नहीं होगी. किसानों को सशक्त बनायेंगे पारित कृषि विधेयक: नीति आयोग नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने लोकसभा में कृषि क्षेत्र से संबंधित दो विधेयकों के पारित होने का स्वागत करते हुए कहा कि ये किसानों को सशक्त बनायेंगे और कृषि के भविष्य पर इनका व्यापक प्रभाव पड़ेगा. कुमार ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा, ''लोकसभा में कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और पारित हुआ. यह एक ऐतिहासिक दिन है.'' उन्होंने कहा कि ये कानून न केवल किसानों को सशक्त बनायेंगे बल्कि ये किसानों और व्यापारियों के लिये एक समान व मुक्त पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे, जिससे अनुकूल प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार पारदर्शिता में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि किसान पहली बार अपने खेतों से सीधे बिक्री कर सकते हैं. उनके भीतर व्यापारियों के शोषण के जोखिम के बिना उद्यम स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होगी. क्या कहते हैं एग्री एक्सपर्ट्स? एग्री एक्सपर्ट विजय सरदाना का कहना है कि किसानों के लिए ये बिल काफी फायदेमंद हैं. उनका कहना है कि इन विधेयकों के लागू होने से किसानों की आय बढ़ेगी. बाजार से बिचौलिये दूर होंगे और किसानों को उनकी फसल का बाजिव भाव मिल सकेगा. आने वाले दिनों में ग्रामीण भारत (गांव) निवेश का हब बनेगा. पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने ईटी को बताया कि कृषि विधेयकों के अमल में आने से खेती-किसानी के क्षेत्र में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा. लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों को भी कृषि क्षेत्र में निवेश का माहौल बनाना होगा. हालांकि, देश के जिन राज्यों में एमएसपी पर खरीद होती है. किसानों को चिंता है कि आने वाले दिनों में खरीद बंद हो जाएगी. इसके अलावा राज्य सरकारों को चिंता है कि किसान मंडियों के बाहर फसल बेचेंगे, जिससे उनका राजस्व घटेगा. इसलिए विरोध हो रहा है.

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