नया वाहन खरीदने के साथ ही वाहन का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना जरूरी होता है। सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2018 से सभी नए वाहनों का खरीदने के साथ ही पांच साल का के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना अनिवार्य कर दिया है। आखिर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्या है? जिसको कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है। लोग वाहनों का एक साल के बाद बीमा नहीं कराते इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को पांच साल के लिए अनिवार्य कर दिया है।थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्या है और इसके क्या फायदे हैं ? इन सारे सवालों के जवाब आज हम आपको देने जा रहे हैं।
आप टू-व्हीलर चलाएं या फोर-व्हीलर गाड़ी के कागज़ पूरे होने चाहिए। जिसमें आपको वाहन का इंश्योरेंस हर साल करवाना पड़ता है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने नियमों में बदलाव किए हैं जिसके बाद सड़क पर अब बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाना आपको महंगा पड़ सकता है। लेकिन इंश्योरेंस पॉलिसी भी अलग-अलग होती हैं। अक्सर हम फर्स्ट पार्टी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के बारे में सुनते हैं। हालांकि इन पॉलिसीज़ के फायदे और नुकसान के बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि फर्स्ट पार्टी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में क्या फर्क होता है तो हम आपको इस लेख के जरिेए समझाने की कोशिश करते हैं।
Insurance in india:
भारत में गाड़ी खरीदने वाले हर शख्स के लिए वाहन बीमा यानी मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना अनिवार्य है. फिर चाहे कार खरीदें या बाइक/स्कूटर या कोई कमर्शियल गाड़ी. बिना बीमा के सार्वजनिक स्थल पर मोटर व्हीकल चलाना, मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार एक दण्डनीय अपराध है. कार इंश्योरेंस के अलावा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस (Third Party Insurance) लेना भी कानूनी रूप से अनिवार्य है.
वाहन बीमा का क्या मततब है?
वाहन बीमा किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर हमारे आर्थिक नुकसान की भरपाई करता है। बीमा इंश्योरेंस कंपनी और आपके बीच एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसके तहत कानूनी रूप में एग्रीमेंट किया जाता है कि आप प्रीमियम देंगे और कंपनी वाहन दुर्घटना होने पर आर्थिक नुकसान की भरपाई करेगी। कंपनी किसके-किसके आर्थिक नुकसान की भरपाई करेगी, इसके लिए आपको वाहन बीमा के प्रकार के बारे में जानना पड़ेगा।
वाहन बीमा के प्रकार :
वाहन बीमा में, फर्स्ट पार्टी उस व्यक्ति को कहते हैं जो अपनी गाड़ी के लिए बीमा प्लान खरीदता है। सेकंड पार्टी, उस बीमा कंपनी को कहते हैं जो कि आपको बीमा प्लान बेचती है। थर्ड पार्टी उस व्यक्ति, वाहन या संपत्ति को माना जाता है, जिसे आपकी गाड़ी से नुकसान पहुंचता है। अब हम वाहन बीमा के प्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त करेगें......
1. फुल टाइम बीमा-
अगर किसी वाहन के साथ दुर्घटना हो जाती है तो फुल टाइम बीमा में सभी तरह के नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करती है। इसमें दुर्घटना के समय वाहन में बैठे लोगों के साथ ड्राइवर और वाहन के अलावा सामने वाले वाहन, उसमें बैठे लोग और ड्राइवर के आर्थिक नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करती है।
2. फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस क्या होता है?
वाहन बीमा में, फर्स्ट पार्टी उस व्यक्ति को कहते हैं जो अपनी गाड़ी के लिए बीमा प्लान खरीदता है। इस प्रकार, जिस बीमा पॉलिसी से, वाहन बीमा खरीदने वाले व्यक्ति को हुए नुकसान का मुआवजा मिलता है, उसे फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस कह सकते हैं। वाहन बीमा में यह सुविधा कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी लेने पर उपलब्ध होती है। इसलिए, कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस को फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस माना जा सकता है।
फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस जीरो डेप्थ के साथ करवाया जा सकता है। जिसमें सारी चीज़ें कवर होती हैं। जैसे आपकी गाड़ी की टूट-फूट आपकी शारीरिक क्षति, सामने वाले जिससे आपकी गाड़ी टकराई है उसकी गाड़ी की टूट-फूट से लेकर उसकी इंजरी तक सारी चीज़ें इस इंश्योरेंस पॉलिसी में आपको कंपनी की तरफ से मिलती हैं। यहां तक कि इस इंश्योरेंस के तहत गाड़ी चोरी हो जाने पर या बुरी तरह डैमेज हो जाने पर भी आपको कंपनी से क्लेम मिल जाता है। जीरो डेप्थ वाले इंश्योरेंस में आप साल में दो बार क्लेम ले सकते हैं। बता दें कि नए नियमों के मुताबिक बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर 2 हजार रुपये का जुर्माना या 3 महीने की जेल या दोनों साथ-साथ हो सकते हैं।
फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस 50% क्लेम: यह भी फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस ही होता है, लेकिन इसमें टर्म एंड कंडीशंस होती हैं। जिसके तहत आपकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने पर नुकसान की 50 प्रतिशत भरपाई बीमा कंपनी करती है और 50 प्रतिशत भरपाई वाहन स्वामी को करनी होती है। बता दें अनिवार्य बीमा, गाड़ी के मालिक और ड्राइवर के लिए है। Comprehensive Insurance लेने पर रोड एक्सीडेंट कवर को 15 लाख रुपये से अधिक बढ़ाया जा सकता है, जबकि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में अनिवार्य दुर्घटना बीमा 15 लाख तक ही मिलता है।
कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस (फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस) में 4 तरह की बीमा सुरक्षाएं शामिल होती हैं-
1 थर्ड पार्टी बीमा (Third Party Insurance):
आपकी गाड़ी के साथ हुए हादसे में, अगर किसी अन्य व्यक्ति को चोट लग जाती है या मौत हो जाती है तो आपकी ओर से, बीमा कंपनी उसे मुआवजा देती है। किसी अन्य वाहन या संपत्ति को हुए नुकसान का मुआवजा भी बीमा कंपनी देती है। ऐसे मामलों में, अगर कोई कानूनी या अदालती प्रक्रिया होती है तो उसका खर्च भी आपके बीमा कंपनी उठाती है। इस बीमा सुविधा को थर्ड पार्टी लायबिलिटी भी कहते हैं। कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस के साथ, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी भी रखना अनिवार्य है।
2 अनिवार्य व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (Compulsory Personal accident insurance):
गाड़ी चलाते वक्त, गाड़ी मालिक को अगर कोई शारीरिक नुकसान पहुंचता है या मौत होती है तो उसका मुआवजा इस बीमा के कारण मिलता है। फिलहाल किसी भी प्रकार का, वाहन बीमा कराने पर, उसके साथ में 15 लाख रुपए का अनिवार्य व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा करवाना अनिवार्य है। चाहे आप सिर्फ थर्ड पार्टी बीमा करवाएं या कंप्रिहेंसिव बीमा करवाएं, सभी के साथ अनिवार्य दुर्घटना बीमा लेना पड़ेगा।
15 लाख रुपए की लिमिट, सरकारी या कानूनी रूप से तय की गई न्यूनतम सीमा है। आप चाहे तो ज्यादा प्रीमियम देकर, अपने लिए ज्यादा कीमत का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा भी ही करा सकते हैं। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ इसे अनिवार्य रूप से कराना पड़ता है, इसलिए यह भी कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस का हिस्सा हो जाता है। अगर आपने किसी एक गाड़ी के लिए Compulsory Personal accident insurance पॉलिसी ले रखी है तो, अन्य गाड़ियों के लिए हर बार इसे लेने की जरूरत नहीं है।
3 ओन डैमेज कवर (Own Damage Cover):
किसी हादसे में, आपकी गाड़ी को जो नुकसान पहुंचता है उसका मुआवजा ओन डैमेज कवर के माध्यम से मिलता है। इस इंश्योरेंस सुविधा के कारण ही, गाड़ी के चोरी हो जाने या पूरी तरह नष्ट हो जाने पर, गाड़ी की पूरी कीमत बीमा कंपनी देती है। कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस में यह सुविधा अवश्य जोड़ी जाती है। अगर आप से पहले से थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवा रखा है, तो अलग से भी यह बीमा पॉलिसी जुड़वा सकते हैं ।
4 ऐडऑन कवर या राइडर्स (Add on Insurance):
कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस लेने पर आपको ऊपर बताए गए इंश्योरेंस के अलावा कुछ अन्य सहायक इंश्योरेंस लेने के विकल्प होते हैं। ये आपको गाड़ी के साथ अक्सर होने वाली कुछ खास तरह की मुश्किलों में मदद पहुंचाते हैं। इन्हें ऐडऑन कवर या ऐडऑन इंश्योरेंस कहते हैं। ऐडऑन कवर्स को Riders भी कहा जाता है। कुछ ऐडऑन इंश्योरेंस आपकी बीमा रकम में कटौती से भी बचाते हैं। अगले पैराग्राफ में कुछ प्रमुख एडऑन इंश्योरेंस के नाम और उनसे मिलने वाली मदद की जानकारी हमने दी है।
ध्यान दें: इनमें पहले नंबर की बीमा सुविधा (थर्ड पार्टी इंश्योरेंस) को छोड़कर बाकी तीनों तरह की बीमा सुविधाओं (ओन डैमेज कवर, पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस, और ऐडऑन कवर्स) को फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस के तहत रखा जा सकता है।
प्रमुख ऐडऑन कवर्स
कुछ प्रमुख ऐडऑन कवर्स के नाम हम यहां दे रहे हैं-
जीरो डिप्रेशिएशन कवर:
गाड़ी जितनी ज्यादा पुरानी होती है, नुकसान के लिए मिलने वाले बीमा क्लेम की रकम में उतनी ज्यादा कटौती कर ली जाती है। (डिप्रेशिएशन रेट की लिस्ट नीचे देखें)। क्योंकि समय गुजरने के साथ है गाड़ी की बाजार कीमत कम होती जाती है। कीमत में इस कमी को डेप्रिसिएशन या अवमूल्यन कहते हैं। जीरो डेप्रिसिएशन कवर लेने पर, गाड़ी के पुरानी होने पर भी बीमा क्लेम में कटौती नहीं की जाती। सामान्य रूप से, 5 साल तक की गाड़ियों के लिए यह ऐडऑन उपलब्ध होता है, लेकिन कुछ शर्ते पूरी होने पर 10 साल तक की गाड़ियों के लिए भी मिल सकता है।
गाड़ी की उम्र
|
बीमा क्लेम की रकम में कमी या डेप्रिसिएशन का प्रतिशत
|
6 महीने से कम पुरानी गाड़ी होने पर
|
0%
|
6 महीने से 1 साल तक की पुरानी गाड़ी होने पर
|
5%
|
1 साल से 2 साल तक पुरानी गाड़ी होने पर
|
10%
|
2 साल से 3 साल तक पुरानी गाड़ी होने पर
|
15%
|
3 साल से 4 साल तक पुरानी गाड़ी होने पर
|
25%
|
4 साल से 5 साल तक पुरानी गाड़ी होने पर
|
35%
|
5 साल से 10 साल तक पुरानी गाड़ी होने पर
|
40%
|
10 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ी होने पर
|
50%
|
|
|
|
इंजन प्रोटक्शन कवर:
हादसे के अलावा किसी अन्य कारण से इंजन को होने वाले नुकसान की भरपाई मुख्य बीमा पॉलिसी में शामिल नहीं होती। जैसे कि पानी भर जाना, तेल में खराबी के कारण, इलेक्ट्रिक फॉल्ट वगैरह के कारण। इंजन प्रोटक्शन कवर ऐडऑन की मदद से आप यह सुविधा ले सकते हैं। 5 साल तक की गाड़ियों के लिए यह ऐडऑन उपलब्ध होता है।
नो क्लेम बोनस प्रोटेक्शन कवर:
पिछली बीमा पॉलिसी के दौरान कोई बीमा क्लेम ना लेने पर, अगली बार बीमा पॉलिसी लेने पर, प्रीमियम चुकाने में कुछ छूट मिलती है। अगर आपने नो क्लेम बोनस प्रोटक्शन कवर जुड़वा रखा है तो, कुछ क्लेम लेने के बावजूद आपको अगले बीमा पॉलिसी के शुल्क में छूट मिलती है मिल जाती है। प्रीमियम में छूट आपको निम्नलिखित रेट से मिलती है-
1 साल तक बीमा क्लेम ना करने पर
|
|
20%
|
2 साल तक बीमा क्लेम ना करने पर
|
|
25%
|
3 साल तक बीमा क्लेम ना करने पर
|
|
35%
|
4 साल तक बीमा क्लेम ना करने पर
|
|
45%
|
रोडसाइड असिस्टेंट कवर:
रास्ते में गाड़ी खराब होने पर, मैकेनिक और रिपेयरिंग की व्यवस्था, इस ऐडऑन कवर को जुड़वाने पर बीमा कंपनी की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। गाड़ी को खिंचवा कर गैराज में ले जाने की जरूरत होगी तो उसकी व्यवस्था भी बीमा कंपनी करवाएगी। आपको बीमा कंपनी के पास फोन लगाना होगा, और कंपनी आपके बताए हुए जगह पर यह सेवाएं उपलब्ध कराएगी।
रिटर्न टू इनवॉइस कवर:
जब कार इंश्योरेंस खरीदते हैं तो बीमा कंपनी की ओर से गाड़ी की बाजार कीमत (IDV) तय की जाती है। यह उस कीमत से कम होती है जो नई गाड़ी खरीदते समय चुकाई गई होती है। नई गाड़ी खरीदते समय जो कीमत चुकाई जाती है उसे invoice value कहते हैं। अगर आपने Return to Invoice’ add-on cover जुड़वा रखा है तो पुरानी होने पर भी गाड़ी की बाजार कीमत, उसकी इनवॉइस वैल्यू के बराबर तय की जाएगी। इसका फायदा यह होगा की कि किसी हादसे में आपकी गाड़ी पूरी तरह से नष्ट हो जाने पर या चोरी हो जाने पर, आपको नई गाड़ी के दाम (invoice value) के बराबर मुआवजा मिलता है।
पैसेंजर कवर:
कंप्रिहेंसिव बीमा पॉलिसी खरीदने पर, हादसे में आपकी गाड़ी को नुकसान का मुआवजा मिलता है (ओन डैमेज कवर के कारण), गाड़ी के ड्राइवर को शारीरिक क्षति पहुंचने पर का लाभ मिलता है (अनिवार्य दुर्घटना बीमा के कारण), आपकी गाड़ी से किसी अन्य गाड़ी, व्यक्ति या संपत्ति को हुए नुकसान का मुआवजा भी मिलता है (third pary insurance के कारण)। लेकिन गाड़ी में मौजूद सवारियों को नुकसान पहुंचने पर उन्हीं कोई मदद नहीं मिलती। Passenger cover add-on इस कमी को दूर करता है। इस ऐडऑन कवर को जुड़वाने पर, किसी हादसे में, आपकी गाड़ी में मौजूद सवारियों के इलाज का खर्च बीमा कंपनी देती है। किसी सवारी की मौत हो जाने पर या विकलांग हो जाने पर भी मुआवजा बीमा कंपनी देती है।
टायर प्रोटेक्ट कवर:
बड़ी गाड़ी के पहिए और उसके टायर काफी ज्यादा कीमत के होते हैं। गाड़ी के टायरों को नुकसान बिना किसी दुर्घटना की भी हो सकता है। जैसे कि टायर फट जाना, फूल जाना या उसमें कट लग जाना। ऐसे मामलों में मुख्य बीमा पॉलिसी से आपको कोई मदद नहीं मिल सकती। क्योंकि बीमा की शर्तों में टायरों को वह नुकसान को शामिल नहीं किया जाता है। लेकिन अगर आपने अपनी पॉलिसी में टायर प्रोटेक्ट कवर, एडऑन जुड़वा रखा है तो, टायरों को बदलने या रिपेयर करने का खर्च बीमा कंपनी उठाती है।
की रिप्लेसमेंट कवर:
अगर आपके पास कार की इलेक्ट्रॉनिक चाबी है, तो उसके खो जाने या चोरी हो जाने पर नई इलेक्ट्रॉनिक चाबी बनवाने का खर्च काफी महंगा पड़ता है। सामान्य बीमा पॉलिसी चाबी के मामले में आपकी कोई मदद नहीं करती। लेकिन अगर आपने अपनी बीमा पॉलिसी के साथ Key Replacement cover भी जुड़वा रखा है, तो चाबी बदलवाने के सारे खर्च, बीमा कंपनी भुगतान करती है। lock-set को रिपेयर करने का खर्च भी इसमें शामिल है।
3. सेकंड पार्टी इंश्योरेंस क्या है?
उस बीमा कंपनी को कहते हैं जो कि आपको बीमा प्लान बेचती है। थर्ड पार्टी उस व्यक्ति, वाहन या संपत्ति को माना जाता है, जिसे आपकी गाड़ी से नुकसान पहुंचता है। इस प्रकार, जिस बीमा पॉलिसी से, वाहन बीमा खरीदने वाले व्यक्ति को हुए नुकसान का मुआवजा मिलता है, उसे फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस कह सकते हैं।
4. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्या है?
वाहन बीमा के अंतर्गत थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रावधान है। थर्ड पार्टी बीमा को लाइबिलटी कवर के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमा तीसरे पक्ष से संबंधित होता है। अगर किसी ने वाहन का थर्ड पार्टी बीमा कराया है और कोई दुर्घटना होती है तो तीसरी पार्टी को बीमा कंपनी क्लेम देती है। दुर्घटना पर तीसरे पक्ष के आर्थिक नुकसान की बीमा कंपनी भरपाई करती है। दुर्घटना के दौरान तीसरे पक्ष की मौत हो जाती है तो बीमा कंपनी इसका भुगतान करती है। यहां फर्स्ट पार्टी वाहन चलाने वाला और थर्ड पार्टी वाहन की चपेट में आने वाला होता है। वाहन की चपेट में आने वाले के आर्थिक नुकसान की के लिए सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को अनिवार्य दिया है। यह बीमा वाहन मालिक को भी बचाता है। ऐसी घटना के कारण व्हीकल ओनर/ड्राइवर पर बनने वाली कानूनी देनदारियों का निपटारा इसी पॉलिसी से होता है. अगर आपके व्हीकल की लास्ट डेप्रिशिएशन वैल्यू (LDV) अगर जीरो भी बची है, तब भी आपको थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाना होगा.
क्या नुकसान कवर होता है…
- अन्य व्यक्ति की मौत या शारीरिक क्षति
- अन्य व्यक्ति के वाहन या उसमें लगे इक्विपमेंट को हुआ नुकसान
- अन्य व्यक्ति की संपत्ति, घर, दीवार, या सामान को हुआ नुकसान
व्हीकल ओनर को नहीं देता कोई राहत
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के तहत व्हीकल ओनर या चालक को होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है. इसके अलावा जिस व्हीकल से एक्सीडेंट हुआ है, उसे नुकसान होने पर कोई मुआवजा नहीं मिलता है.
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के फायदे
लोग सोचते हैं कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में बीमा कराने वाले को कोई फायदा नहीं होता। यह बात सही है, मगर बीमा कराने वाले को कोई घाटा भी नहीं होता। क्योंकि यह इंश्योरेंस बीमाधारक को सभी वाहन दुर्घटना में आर्थिक नुकसान से बचाता है। इन खर्चों में अस्पताल और कानूनी खर्चे भी शामिल होते हैं। कई बार ऐसे भी होता है कि क्षतिग्रस्त होने वाले की हैसियत आपसे कई गुना ज्यादा हुई तो आप उसको हर्जाना देने लायक नहीं होते ऐसे में बीमा कंपनी क्लेम देती है।
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के अंतर्गत शामिल देनदारी
भारतीय संविधान के अनुसार दुर्घटना से होने वाले शारीरिक और संपत्ति नुकसान का न्यनतम मूल्य वाहन चालक को चुकाना होता है।
शारीरिक क्षेत्र के लिए देनदारी
थर्ड पार्टी वाहन बीमा के अंतर्गत दुर्घटनाग्रस्त में आदमी को शारीरिक नुकसान होता है तो उसका हर्जाना बीमा कंपनी भरती है। इसमें अस्पताल का खर्च, उसकी कमाई का नुकसान और अन्य परेशानियों का खर्च शामिल किया जाता है।
संपत्ति की क्षति के लिए देनदारी
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के अंतर्गत संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करती है। यहां आपको ध्यान देना होगा कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के अंतर्गत केवल दुर्घटना से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई ही बीमा कंपनी करती है। अपराध में शामिल वाहन पर बीमा कंपनी कोई मदद नहीं करती।
क्या कहते हैं नए नियम:
सुप्रीम कोर्ट ने सभी नए टू-व्हीलर ओनर्स के लिए 5 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाना अनिवार्य कर दिया है. वहीं, कार व अन्य कमर्शियल व्हीकल्स के मामले में कम से कम 3 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य है. यह आदेश 1 सितंबर 2018 से पूरे देश में लागू है. अगर किसी ने व्हीकल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं करवा रखा है तो पकड़े जाने पर 2000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है.
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस ऑनलाइन भी ले सकते हैं:
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है. ऐसा किसी बीमा कंपनी की वेबसाइट पर जाकर या फिर किसी इंश्योरेस एग्रीगेटर जैसे Policybazaar.com और coverfox.com के माध्यम से किया जा सकता है. आप चाहें तो इसे ऑनलाइन रिन्यू भी करा सकते हैं.
महंगा हो चुका है थर्ड पार्टी इंश्योरेंस
बीमा नियामक IRDAI ने वाहनों की कुछ कैटेगरी के लिए अनिवार्य थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में 21 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए नई दरें 16 जून से लागू हो गई हैं. इसके चलते 1000 सीसी से कम क्षमता वाली छोटी कारों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है. अब प्रीमियम 2072 रुपये हो गया है. इसी तरह से 1000-1500 सीसी के वाहनों का बीमा प्रीमियम 12.5 फीसदी बढ़कर 3221 रुपये हो गया है.
टू-व्हीलर्स के मामले में 75 सीसी से कम के व्हीकल के लिए थर्ड पार्टी प्रीमियम 12.88 फीसदी बढ़कर 482 रुपये हो गया. इसी तरह 75 से 150 सीसी के दोपहिया वाहन के लिए प्रीमियम 752 रुपये किया गया है. 150-350 सीसी क्षमता वाले दोपहिया वाहनों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम 21.11 फीसदी बढ़कर 1193 रुपये हो गया है.
हालांकि 1500 सीसी से ऊपर की कारों के लिए थर्ड पार्टी प्रीमियम नहीं बढ़ाया गया है. इसे 7890 रुपये पर बरकरार रखा है. सुपर बाइक (355 सीसी से ऊपर के दोपहिया वाहन) के प्रीमियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है. ई-रिक्शा के मामले में दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है.