राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग ने एक चर्चा पत्र (Discussion Paper) के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत ग्रामीण एवं शहरी कवरेज को क्रमशः 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत तक कम करने की सिफारिश की है। इसमें नवीनतम जनसंख्या आँकड़ों के अनुरूप लाभार्थियों के संशोधन का भी प्रस्ताव किया गया है, जो कि वर्तमान में वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित है।

 

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

 

सरकार ने संसद द्वारा पारित, राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 दिनांक 10 सितम्‍बर,2013 को अधिसूचित किया है,जिसका उद्देश्‍य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर अच्‍छी गुणवत्‍ता के खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें मानव जीवन-चक्र दृष्‍टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा प्रदान करना है। इस अधिनियम में, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत राजसहायता प्राप्‍त खाद्यान्‍न प्राप्‍त करने के लिए 75%ग्रामीण आबादी और 50%शहरी आबादी के कवरेज का प्रावधान है, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है। इस प्रकार लगभग दो-तिहाई आबादी कवर की जाएगी। पात्र व्‍यक्‍ति चावल/ गेहूं/मोटे अनाज क्रमश: 3/ 2/1 रूपए प्रति किलोग्राम के राजसहायता प्राप्‍त मूल्‍यों पर 5 किलोग्राम खाद्यान्‍न प्रति व्‍यक्‍ति प्रति माह प्राप्‍त करने का हकदार है। मौजूदा अंत्‍योदय अन्‍न योजना परिवार,जिनमें निर्धनतम व्‍यक्‍ति शामिल हैं,35 किलोग्राम खाद्यान्‍न प्रति परिवार प्रति माह प्राप्‍त करते रहेंगे।

 

इस अधिनियम में महिलाओं और बच्‍चों के लिए पौषणिक सहायता पर भी विशेष ध्‍यान दिया गया है। गर्भवती महिलाएं और स्‍तनपान कराने वाली माताएं गर्भावस्‍था के दौरान तथा बच्‍चे के जन्‍म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम से कम 6000 रूपए का मातृत्‍व लाभ प्राप्‍त करने की भी हकदार हैं। 14 वर्ष तक की आयु के बच्‍चे भी निर्धारित पोषण मानकों के अनुसार भोजन प्राप्‍त करने के हकदार हैं। हकदारी के खाद्यान्‍नों अथवा भोजन की आपूर्ति नहीं किए जाने की स्‍थिति में लाभार्थी खाद्य सुरक्षा भत्‍ता प्राप्‍त करेंगे। इस अधिनियम में जिला और राज्‍य स्‍तरों पर शिकायत निपटान तंत्र के गठन का भी प्रावधान है। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्‍चित करने के लिए भी इस अधिनियम में अलग से प्रावधान किए गए हैं।

 

 

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की विशेषताएं/ प्रावधान:

 

 

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत कवरेज और हकदारी:

 

टीपीडीएस के अंतर्गत 5 किलोग्राम प्रति व्‍यक्‍ति प्रति माह की एक-समान हकदारी के साथ 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को कवर किया जाएगा। प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेंहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो। तथापि, चूंकि अंत्‍योदय अन्‍न योजना (एएवाई) में निर्धनतम परिवार शामिल होते हैं और ये परिवार वर्तमान में 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह के लिए हकदार हैं, अत: मौजूदा अंत्‍योदय अन्‍न योजना परिवारों की 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह की हकदारी सुनिश्‍चित रखी जाएगी।

 

राज्‍य-वार कवरेज:

 

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 75% और 50% के अखिल भारतीय कवरेज के अनुरूप राज्‍य-वार कवरेज का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। योजना आयोग ने वर्ष 2011-12 के लिए एनएसएस पारिवारिक उपभोग सर्वेक्षण आंकड़ों का प्रयोग करके राज्‍य-वार कवरेज का निर्धारण किया है और राज्‍य-वार ‘इनक्‍लूज़न अनुपात’ भी उपलब्‍ध कराया है।

 

टीपीडीएस के अंतर्गत राजसहायता प्राप्‍त मूल्‍य और उनमें संशोधन:

 

इस अधिनियम के लागू होने की तारीख से 3 वर्ष की अवधि के लिए टीपीडीएस के अंतर्गत खाद्यान्‍न अर्थात् चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3/2/1 रूपए प्रति किलोग्राम के राजसहायता प्राप्‍त मूल्‍य पर उपलब्‍ध कराया जाएगा। तदुपरान्‍त इन मूल्‍यों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के साथ उचित रूप से जोड़ा जाएगा।

 

यदि अधिनियम के तहत किसी राज्‍य का आवंटन उसके वर्तमान आवंटन से कम है तो इसे पिछले 3 वर्ष के औसत उठान के स्‍तर तक संरक्षित रखा जाएगा जिसके मूल्‍य का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। पिछले 3 वर्षों के दौरान औसत उठान को संरक्षित करने के लिए अतिरिक्‍त आवंटन हेतु एपीएल परिवारों के लिए मौजूदा मूल्‍यों अर्थात् गेहूं के लिए 6.10 रूपए प्रति किलोग्राम और चावल के लिए 8.30 रूपए प्रति किलोग्राम को निर्गम मूल्‍य के रूप में निर्धारित किया गया है।

 

 

परिवारों की पहचान :

 

टीपीडीएस के अंतर्गत प्रत्‍येक राज्‍य के लिए निर्धारित कवरेज के दायरे में  पात्र परिवारों की पहचान संबंधी कार्य राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा किया जाना है।

 

 

महिलाओं और बच्‍चों को पौषणिक सहायता :

 

गर्भवती महिलाएं और स्‍तनपान कराने वाली माताएं तथा 6 माह से लेकर 14 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्‍चे एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्‍याह्न भोजन (एमडीएम) स्‍कीमों के अंतर्गत निर्धारित पौषणिक मानदण्‍डों के अनुसार भोजन के हकदार होंगे । 6 वर्ष की आयु तक के कुपोषित बच्‍चों के लिए उच्‍च स्‍तर के पोषण संबंधी मानदण्‍ड निर्धारित किए गए हैं।

 

 

मातृत्‍व लाभ :

 

गर्भवती महिलाएं और स्‍तनपान कराने वाली माताएं मातृत्‍व लाभ प्राप्‍त करने की भी हकदार होंगी, जो 6000 रूपए से कम नहीं होगा ।

 

महिला सशक्‍तिकरण :

 

राशन कार्ड जारी करने के प्रयोजनार्थ परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी महिला को परिवार की मुखिया माना जाएगा।

 

शिकायत निवारण तंत्र :

 

जिला और राज्‍य स्‍तरों पर शिकायत निवारण तंत्र। राज्‍यों को मौजूदा तंत्र का उपयोग करने अथवा अपना अलग तंत्र गठित करने की छूट होगी ।

 

 

खाद्यान्‍नों की राज्‍यों के भीतर ढुलाई तथा हैंडलिंग संबंधी लागत और उचित दर दुकान डीलरों का मार्जिन :

 

केंद्रीय सरकार राज्‍यों के भीतर खाद्यान्‍नों की ढुलाई, हैंडलिंग और उचित दर दुकान के मालिकों के मार्जिन पर किए गए खर्च को पूरा करने के लिए इस प्रयोजनार्थ बनाए जाने वाले  मानदण्‍डों के अनुसार राज्‍यों को सहायता उपलब्‍ध कराएगी।

 

पारदर्शिता और जवाबदेही :

 

पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्‍चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित रिकार्डों को सार्वजनिक करने, सामाजिक लेखा परीक्षा करने और सतर्कता समितियों का गठन करने का प्रावधान किया गया है।

 

 

खाद्य सुरक्षा भत्‍ता :

 

हकदारी के खाद्यान्‍न अथवा भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्‍थिति में हकदार लाभार्थियों के लिए खाद्य सुरक्षा भत्‍ते का प्रावधान।

 

 

वर्तमान लाभार्थियों की संख्या:

 

अंत्योदय अन्न योजना के तहत फरवरी 2021 तक लगभग 2.37 करोड़ परिवार या 9.01 करोड़ व्यक्ति शामिल थे। वहीं लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले घरों में कुल 70.35 करोड़ व्यक्ति शामिल थे।

 

दण्‍ड :

 

ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना। जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा संस्‍तुत राहत का अनुपालन न करने के मामले में राज्‍य खाद्य आयोग द्वारा सरकारी कर्मचारी या प्राधिकारी पर दण्‍ड लगाए जाने का प्रावधान।

 

नीति आयोग की सिफारिशों का महत्त्व:

 

नीति आयोग के अनुमान के मुताबिक, यदि ग्रामीण-शहरी कवरेज अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है तो नवीनतम जनसंख्या संबंधी आँकड़ों के आधार पर मौजूदा लाभार्थियों की कुल संख्या 81.35 करोड़ से बढ़कर 89.52 करोड़ (8.17 करोड़ की वृद्धि) हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप 14,800 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी की आवश्यकता होगी। यदि कवरेज अनुपात को नीति आयोग द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार संशोधित किया जाता है तो केंद्र सरकार को 47,229 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। बचत की इस राशि का उपयोग अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे-स्वास्थ्य और शिक्षा में किया जा सकता है।

 

पात्रता :

 

राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले घर। अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर किये गए घर।

 

 

अधिनियम के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति:

 

अब यह अधिनियम सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में क्रियान्‍वित किया जा रहा है और 81.34 करोड़ व्‍यक्‍तियों के लक्षित कवरेज में से 80.72 करोड़ व्‍यक्‍ति कवर किए जा रहे हैं। चंडीगढ़, पुडुचेरी में और दादरा व नगर हवेली में अधिनियम नकद अंतरण विधि में क्रियान्‍वित किया जा रहा है, जिसके अधीन खाद्य राजसहायता सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा की जाती है। इसके बाद उनके पास खुले बाजार से खाद्यान्‍न खरीदने का विकल्‍प होता है।

 

राज्‍य खाद्य आयोगों के लिए गैर-भवन परिसम्‍पत्‍तियों के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता l

 

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) में यह प्रावधान है कि प्रत्‍येक राज्‍य सरकार इस अधिनियम के कार्यान्‍वयन की निगरानी एवं समीक्षा के प्रयोजनार्थ अधिसूचना द्वारा एक राज्‍य खाद्य आयोग का गठन करेगी। यह निर्णय लिया गया है कि किसी राज्‍य द्वारा एक विशेष राज्‍य खाद्य आयोग का गठन करने का निर्णय लिए जाने के मामले में,केन्‍द्र सरकार राज्‍य खाद्य आयोग के लिए गैर-भवन परिसम्‍पत्‍तियों हेतु एकबारगी वित्‍तीय सहायता प्रदान करेगी। तदनुसार,इस विभाग की अम्ब्रेला स्‍कीम''सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण''के अंतर्गत एक घटक अर्थात''राज्‍य खाद्य आयोगों के लिए गैर-भवन परिसम्‍पत्‍तियों हेतु राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता''शामिल किया गया है। इस घटक के अंतर्गत गैर-भवन परिसम्‍पत्‍तियों जैसे फर्नीचर,आफिस उपकरण,कंप्‍यूटरों आदि के लिए सहायता उपलब्‍ध है। इनमें कम्‍प्‍यूटर,एयर कंडीनशर,फोटोकापी मशीनें,फैक्‍स मशीनें, टेलीफोन,ईपीएबीएक्‍स सिस्‍टम,टेबल,कुर्सियां,स्‍टोरेज यूनिट आदि को शामिल किया जा सकता है। इस स्‍कीम के अंतर्गत किसी भी निर्माण कार्य अथवा किसी आवर्ती व्‍यय के लिए सहायता प्रदान नहीं की जाती है।

 

 

चुनौतियाँ :

 

कोरोना वायरस महामारी के दौरान कवरेज अनुपात में कमी करना समाज के गरीब वर्ग पर दोहरा बोझ (बेरोज़गारी और खाद्य असुरक्षा) डालेगा। कई राज्यों द्वारा इस कदम का विरोध किया जा सकता है।

 

 

अन्य सिफारिशें

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शांता कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने कवरेज अनुपात को जनसंख्या के 67 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत तक करने की सिफारिश की थी।

 

समिति के मुताबिक, जनसंख्या का 67 प्रतिशत कवरेज काफी अधिक है और इसे लगभग 40 प्रतिशत तक सीमित किया जाना चाहिये, जिसके तहत आसानी से BPL परिवारों को कवर किया जा सकेगा।

 

आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में केंद्रीय पूल से जारी खाद्यान्नों के केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP) में संशोधन की सिफारिश की गई थी, जो बीते कई वर्षों से अपरिवर्तित है।

 

 

केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP):

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत रियायती दरों पर लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।

 

केंद्र सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज खरीदती है और इसे केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP) पर राज्यों को बेचती है।

 

केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP) का निर्धारण किया जाता है, किंतु यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक नहीं होता है।

 

 

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