1 अनुकंपा नियुक्ति नियम-1996 में संशोधन (Amendment in Rajasthan Compassionate Appointment Rule:1996 )
अनुकंपा नियुक्ति नियम 1996 के उप नियम 5 के अनुसार मृतक परिवार के किसी सदस्य के पूर्व से ही सरकारी नौकरी में होने पर अन्य आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति के योग्य नहीं माना जाता है. यह नियम 1996 का है. जब संयुक्त परिवार हुआ करते थे. लेकिन अब समय बदल गया है. यह समय एकल परिवार का है और समय की मांग थी कि इन नियमों में संशोधन किया जाए. मृतक के संकटग्रस्त परिवार के बेरोजगार सदस्यों को रोजगार के अवसर से वंचित करना संविधान प्रदत्त अधिकारों का भी हनन है. अनुकंपा नियुक्ति का नियम-5 पूरी तरह से अव्यवहारिक था. इसी कारण राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने अनुकंपा नियुक्ति के नियम में बड़ा बदलाव किया है. गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नियम-1996 में संशोधन कर अनुकंपा नियुक्ति का दायरा बढ़ा दिया है. मंत्रिमण्डल के इस फैसले से अब मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित के रूप में तलाकशुदा पुत्री तथा अविवाहित राज्य कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके माता, पिता, अविवाहित भाई या बहन तथा कोई भी आश्रित नहीं होने की स्थिति में विवाहित पुत्री को भी सम्मिलित किया गया है. इस प्रावधान से राज्य सरकार द्वारा सरकारी कार्मिक की मृत्यु की स्थिति में उसके आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर आश्रित परिवार को राहत दी जा सकेगी. वर्तमान अनुकम्पा नियुक्ति नियमों में अब तक मृत कार्मिक के आश्रित के रूप में पति, पत्नी, पुत्र, अविवाहित या विधवा पुत्री, दत्तक पुत्र या दत्तक अविवाहित पुत्री को ही पात्र माना गया है.
राजस्थान में अब सिर्फ 45 दिनों के भीतर अनुकंपा नियुक्ति मिल सकेगी. अब तक आवेदन की प्रक्रिया जटिल होने कारण समय पर अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाती थी. अब राज्य सरकार ने नोडल अधिकारी और केस अधिकारी नियुक्त कर उनकी जिम्मेदारी तय कर दी है. नई व्यवस्था के तहत किसी राजकीय कर्मी की सेवाकाल में मौत होने पर केस प्रभारी परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति दिलवाएगा.
इसी प्रकार राजकीय कर्मचारी जो लम्बी बीमारी से ग्रसित हैं और बेड पर हैं या निशक्त और अयोग्य हो गए हैं. इसके लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नियमों (Amendment in VRS rules in Rajasthan) में संशोधन कर उम्र की बाध्यता की समय सीमा को हटा कर ऐसे कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति (Anukampa Niyukti) देने जा रही है. अनुकंपा नियुक्ति का लाभ उसी कर्मचारी के आश्रित को मिलेगा, जिस कर्मचारी की राजकीय सेवा में कम से कम 5 साल का वक्त बचा हो यानी उम्र 55 वर्ष से कम है.
विभिन्न विभागों, निगम, बोर्ड, स्वायत्तशासी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों के निशक्त या अयोग्य होने पर आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति मिलेगी. कार्मिक विभाग ने इसके लिए नियमों में संशोधन कर कहा गया है कि राज्य में उन कर्मचारियों के आश्रितों को भी नौकरी दी जाएगी जो ड्यूटी के दौरान किसी हादसे के शिकार होने की वजह से निशक्त हो गए और ऐसी किसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो गए हैं. उन कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी, लेकिन इसमें अब तक बने नियमों के तहत उम्र की बाध्यता रखी है. अनुकंपा नियुक्ति का लाभ उसी कर्मचारी के आश्रित को मिलेगा, जिस कर्मचारी की राजकीय सेवा में कम से कम 5 साल का वक्त बचा हो यानी उम्र 55 वर्ष से कम है. दरअसल ऊर्जा विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ आये दिन हादसों के मामले सामने आ रहे थे. खासतौर पर फील्ड में बिजली के खम्बों पर काम करने वाले लाइनमेन या अन्य सहयोगी के बिजली के करंट से कई बाद शरीर जल जाता है या हाथ-पैर काटने जैसी भी परिस्थियां उत्पन्न हो जाती हैं. इन हालातों में वो कर्मचारी फिर से फील्ड का काम नहीं कर पाते. इसी तरह के मामलों में संवेदनशीलता दिखाते हुए मुख्यमंत्री ने वर्ष 2022-23 बजट में इन कर्मचारियों को राहत देते हुए बड़ी सौगात दी.
VRS नियमों में हो रहे संशोधन के साथ ही प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकेगा, लेकिन उम्र की बाध्यता को लेकर सवाल उठाए (Demand of change in age bar) गये थे कि सरकार को उम्र की बाध्यता के नियम को हटाना चाहिए. सेवा के आखरी दिन तक भी किसी कर्मचारी के साथ कोई हादसा हो जाये और वो डिसेबल हो जाये तो उस कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा का लाभ दिया जाना चाहिए.
प्रदेश की गहलोत सरकार कर्मचारियों के हित में बड़ा निर्णय करते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नियमों में भी संशोधन किया है. संशोधित नियमों के अनुसार अब राजकीय सेवा में रहते ड्यूटी के दौरान अगर कोई कार्मिक पूर्णतः निशक्त या कार्य करने में अयोग्य हो जाता है तो भी उस कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ मिल सकेगा.
2 राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम-1996 में संशोधन:
कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब कोर्ट केस जारी होने पर भी रिटायर्ड कर्मचारी को 50 फीसदी ग्रेच्युटी दी जाएगी। इसके लिए पेंशन विभाग में सर्विस बुक भिजवाने की जरूरत नहीं होगी। राज्य कैबिनेट की बैठक में ये निर्णय लिए गए हैं। इसके लिए सरकार ने राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम-1996 के नियमों में भी संशोधन को मंजूरी दी है।
3 कैबिनेट ने राजस्थान सिविल सेवा अंशदायी पेंशन नियम-2005 को पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवेलपमेंट आथॉरिटी एक्ट-2013 के दायरे में लाने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने की भी मंजूरी दी है। इससे सभी सरकारी कर्मचारी जिन पर नई पेंशन योजना लागू है, उन्हें पीएफआरडीएएक्ट-2013 का फायदा मिल सकेगा।
4 प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान में प्रभारी मंत्रियों की लगाई ड्यूटी:
राज्य मंत्रिपरिषद ने दो अक्तूबर से शुरू होने जा रहे प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान को लेकर फैसला लिया है कि राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सभी मंत्री मौजूद रहेंगे। सभी मंत्रियों को चार अक्तूबर को अपने विधानसभा क्षेत्रों और पांच से सात अक्तूबर तक अपने प्रभार वाले जिलों में लगने वाले ब्लॉक लेवल के कैंपों में निरीक्षण करना होगा।
5 किसान कल्याण कोष के लिए 500 करोड़ का लोन लिया जाएगा:
कैबिनेट ने किसान कल्याण की योजनाओं को चलाने के लिए कृषक कल्याण कोष में बैंक ऑफ इंडिया से 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त दीर्घकालिक लोन लेने की मंजूरी दी है। यह लोन राज्य सरकार की गारंटी पर लिया जाएगा।
6 जिला न्यायालयों में संविदा पर लगे कोर्ट मैनेजर्स होंगे नियमित:
राजस्थान जिला न्यायालय लिपिक वर्गीय स्थापन नियम-1986 में संशोधन और जिला न्यायालय में संविदा पर लगे कोर्ट मैनेजर्स को नियमित करने और नया संवर्ग बनाने के लिए भी नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई।
7 स्टेट एम्पलॉइज जनरल प्रोविडेंट फंड रूल्स-2021 :
कैबिनेट ने स्टेट एम्पलॉइज जनरल प्रोविडेंट फंड रूल्स-2021 लागू करने की भी मंजूरी दी है। इससे राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को जीपीएफ में ऑनलाइन पैसा जमा करवाने और निकालने की सुविधा मिलेगी।
8 बाल अधिकार संरक्षण आयोग संशोधन नियम-2021 :
कैबिनेट ने राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग संशोधन नियम-2021 का अप्रूवल किया गया है। इसके लागू होने के बाद आयोग में नियुक्त होने वाले अध्यक्ष और सदस्यों के लिए नए पैरामीटर्स और प्रक्रियाओं का पालन करवाया जाएगा। आयोग अपने लेवल पर जांच के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रिया बना सकेगा।
9 सिंगल महिलाओं के बच्चों को मिल सकेंगे जाति और इनकम सर्टिफिकेट :
मंत्रिमंडल ने एससी, एसटी, ओबीसी की सिंगल महिलाओं के बच्चों का जाति प्रमाण पत्र और आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग की सिंगल महिलाओं के बच्चों को आय और संपत्ति प्रमाण पत्र माता के नाम से जारी करने के प्रस्ताव भी मंजूर किया है।
10 टूरिज़्म इंडस्ट्री को राहत :
कोरोना महामारी के कारण मंदी से जूझ रहे पर्यटन क्षेत्र के उद्यमियों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री पर्यटन उद्योग संबल योजना को मंजूरी दी है। इसमें उद्यमियों को 25 लाख रुपये तक के लोन के ब्याज पर एक फीसदी का अतिरिक्त ब्याज अनुदान तीन साल तक देते हुए हर साल कुल नौ फीसदी ब्याज अनुदान दिया जाएगा। होटल और टूर ऑपरेटर्स की ओर से दिए जाने वाले और जमा कराए गए स्टेट जीएसटी की भरपाई एक अक्तूबर, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक 50 फीसदी और एक अप्रैल, 2021 से 30 जून, 2021 तक 75 फीसदी किया जाएगा।
11 शांति और अहिंसा डायरेक्टरेट बनाया जाएगा :
कैबिनेट ने महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा, शांति, ग्राम-स्वराज सिद्धांतों को जनता तक पहुंचाने के लिए शांति और अहिंसा प्रकोष्ठ को अपग्रेड कर इसे निदेशालय बनाने की मंजूरी दी है। कैबिनेट ने भीलवाड़ा जिले के राजकीय महाविद्यालय, बिजौलिया का नाम बिजौलिया किसान आंदोलन चलाने वाले स्व. विजय सिंह पथिक के नाम पर करने की मंजूरी दी है।
12 बीकानेर में एनटीपीसी को सोलर प्रोजेक्ट के लिए जमीन आवंटन :
कैबिनेट ने एनटीपीसी लिमिटेड को 300 मेगावाट का सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने के लिए बीकानेर के पैथड़ों की ढ़ाणी और शंभु का भुर्ज में 132.70 बीघा राजकीय भूमि आवंटन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इससे प्रदेश में सोलर एनर्जी प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।