देश में साल भर में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट यानी एनडीपीएस (NDPS Act) के तहत 72,000 केस दर्ज हुए. यह हर घंटे के हिसाब से 8 केस से अधिक का आंकड़ा है. इनमें से सबसे अधिक ध्यान खींचने वाले केस एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से हाई प्रोफाइल केस के रूप में सामने आए थे. इनमें से सबसे चर्चित केस बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़ा हुआ है. बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान (Shahrukh Khan son Aryan Khan) पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में हैं. उन पर क्रूज पर रेव पार्टी के दौरान ड्रग्स का सेवन करने, रखने, खरीदने-बेचने का आरोप है. कि नारकोटिक्स एक्ट क्या है, कितनी मात्रा में ड्रग्स लेना या बेचना मुसीबत भर हो सकता है. हम इस लेख में यह भी जानेंगे कि दोषी पाए जाने पर नारकोटिक्स एक्ट (NDPS Act)के तहत कितनी सजा हो सकती है? हाल ही में नारकोटिक्स ब्यूरो (NCB) ने उन्हें हिरासत में लिया. ऐसे में जानना सामियक रहेगा हम आपको यहां बता रहे हैं कड़े एनडीपीएस कानून और उसके उल्लंघन के बारे में…
क्या होता है नारकोटिक्स एक्ट (NDPS Act)?
नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (NDPS) साल 1985 में भारत की संसद में पारित किया था. देश में किसी भी नशीले पदार्थ की रोकथाम के लिए इसे बनाया गया था. इसमें 1988, 2001 और 2014 में संशोधन हो चुके हैं. इस एक्ट के तहत दो तरह के नशीले पदार्थ रखे गए हैं. नारकोटिक (नींद लाने वाले ड्रग्स, जो प्राकृतिक चीजों से बनते हैं. जैसे चरस, गांजा, अफीम, हेरोइन, कोकेन, मॉर्फीन) और साइकोट्रोपिक (दिमाग पर असर डालने वाली ड्रग्स, जो केमिकल से बनते हैं, जैसे- एलएसडी, एमएमडीए, अल्प्राजोलम). NDPS का अधिनियमन वर्ष 1985 में मादक औषधि नीति संबंधी संयुक्त राष्ट्र के अभिसमय को पूरा करने के लिये किया गया था। इस अधिनियम में नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार से अर्जित संपत्ति को ज़ब्त करने तथा रसायनों व औषधियों के विनिर्माण में प्रयोग होने वाले पदार्थों पर नियंत्रण हेतु 1989 में कुछ महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए थे। वर्ष 2001 में NDPS अधिनियम के सज़ा संबंधी प्रावधानों में संशोधन किया गया। इसके तहत 10 से 20 वर्ष का कारावास, आर्थिक दंड और दोहराए गए अपराधों के लिये कुछ मामलों में जुर्माने के साथ मौत की सज़ा का भी प्रावधान है।
नारकोटिक्स एक्ट (NDPS Act) में अधिकार?
बिना मेडिकल सलाह के इन ड्रग्स का अधिक मात्रा में सेवन करना, रखना, खरीदना और बेचना जुर्म हैं. NDPS एक्ट की धारा 42 के अंतर्गत जांच अधिकारी को बगैर किसी वारंट या अधिकार पत्र के तलाशी लेने, मादक पदार्थ जब्त करने और गिरफ्तार करने का अधिकार है. वहीं धारा 41 सरकार को नशीली दवा का सेवन करने वाले की पहचान, इलाज और पुनर्वास केंद्र की स्थापना का अधिकार देती है.
एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत कौन सी ड्रग्स प्रतिबंधित हैं?
एनडीपीएस एक्ट के अनुसार नारकोटिक ड्रग (Drugs) का मतलब होता है कोका पौधे के पत्ते, भांग, अफीम, गांजा, खसखस. इसके अलावा भी कई चीजें इनमें शामिल हैं. साइकोट्रोपिक पदार्थ का मतलब किसी भी प्राकृतिक या सिंथेटिक पदार्थ या किसी भी प्राकृतिक सामग्री या किसी भी नमक या ऐसे पदार्थ या ऐसी तैयार सामग्री को है, जो अनुसूची में प्रतिबंधित सूची में शामिल हैं. यह सूची एक्ट के अंत में शामिल है. एनडीपीएस एक्ट का उद्देश्य मेडिकल या वैज्ञानिक उद्देश्यों को छोड़कर नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों के निर्माण, उत्पादन, व्यापार, उपयोग समेत अन्य कार्यों को प्रतिबंधित करना है. यह अधिनियम कानून निर्माताओं को साइकोट्रोपिक पदार्थों की सूची का विस्तार करने या अन्य चीजों के आधार पर वस्तुओं को हटाने के लिए अधिकार प्रदान करता है. ऐसे नशीले पदार्थ जिनका निर्माण, क्रय-विक्रय और उपयोग संयुक्त राष्ट्र के नशीली दवाओं संबंधी अभिसमय (United Nation’s Drugs Convention) द्वारा नियंत्रित नहीं किये जाते और लोगों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं NPS की श्रेणी में आते हैं। NPS को लीगल हाई (Legal high), बाथ सॉल्ट ( bath salt) या शोध रसायन भी कहते है, जिसे स्पष्ट करने के लिये यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम ने इसे NPS नाम दिया है।
कितना ड्रग्स लेने या बेचने पर हो सकती है सजा?
एनडीपीएस एक्ट के तहत ड्रग्स रखने और इस्तेमाल करने के लिए क्या सजा है? दोषी पाए जाने पर कितनी सजा का प्रावधान है?
एनडीपीएस एक्ट के तहत निर्धारित सजा जब्त की गई ड्रग्स की मात्रा पर आधारित है. संशोधनों के बाद यह जब्त की गई ड्रग्स की मात्रा के आधार पर सजा को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है और जहां तक सजा की गंभीरता का संबंध है, तो ये न्यायिक विवेक का भी प्रावधान करता है. NDPS एक्ट के तहत 10 से 20 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. नशीली ड्रग्स की मात्रा के आधार पर कैद और जुर्माना लगाया जाता है. इस मामले में आरोपी की जमानत पुलिस की धाराओं पर निर्भर करती है.
उदाहरण के लिए भांग के पौधे की खेती के लिए सजा को 10 साल तक की कड़ी जेल तक बढ़ाया जा सकता है और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है. इसके अलावा भांग के उत्पादन, निर्माण, कब्जे, बिक्री, खरीद, परिवहन और अवैध तस्करी में जब्त की गई मात्रा के आधार पर सजा तय की गई है. इस प्रकार भांग की छोटी मात्रा की जब्ती के लिए सजा में एक साल तक का कठोर कारावास और 10,000 रुपये तक का जुर्माना शामिल हो सकता है. जब जब्त की गई मात्रा कॉमर्शियल मात्रा से कम लेकिन छोटी मात्रा से अधिक होती है तो दोषी को 10 साल तक के कठोर कारावास की सजा दी जा सकती है और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना भरने के लिए कहा जा सकता है.
जब भांग की कॉमर्शियल मात्रा बरामद की जाती है तो ऐसे में ऐसा कठोर कारावास दिया जाना होता है, जो 10 साल से कम नहीं हो, लेकिन 20 साल तक हो सकता है. जबकि जुर्माना भी 2 लाख रुपये तक हो सकता है लेकिन 1 लाख से कम नहीं होगा. अदालत द्वारा दो लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाने के लिए कहा जा सकता है.
एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 किसी भी नारकोटिक ड्रग्स या साइकोट्रोपिक पदार्थ के सेवन के लिए सजा से संबंधित है. सेवन की गई ड्रग्स कोकीन, मॉर्फिन, डायसेटाइलमॉर्फिन या कोई अन्य ड्रग्स या कोई साइकोट्रॉपिक पदार्थ है, तो कठोर कारावास एक साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना 20 हजार रुपये तक हो सकता है.
इस सूची में शामिल किसी अन्य ड्रग्स के लिए 6 महीने तक की सजा होगी और इसमें 10,000 रुपये तक का जुर्माना शामिल हो सकता है. राजस्व विभाग के अनुसार 1 किग्रा तक के कब्जे को छोटी मात्रा कहा जाता है. जबकि कॉमर्शियल मात्रा में 20 किग्रा या उससे अधिक की जब्ती शामिल होती है. चरस या हशीश के लिए छोटी मात्रा 100 ग्राम तक है जबकि कॉमर्शियल मात्रा 1 किलो या उससे अधिक है. एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिबंधित विभिन्न दवाओं के लिए अलग छोटी या कॉमर्शियल मात्रा की सीमा निर्धारित की गई है.
एनडीपीएस एक्ट अपराध दोहराए जाने वाले अपराधियों के संबंध में एक गंभीर दृष्टिकोण लेता है. इसमें उस अपराध के लिए जेल की अधिकतम अवधि के डेढ़ गुना तक के कठोर कारावास और अधिकतम जुर्माना राशि की एक या डेढ़ गुना अधिक राशि तक लगाने का प्रावधान है. बार-बार अपराध करने वाले मौत की सजा के लिए उत्तरदायी होते हैं, अगर उन्हें जब्त की गई ड्रग्स की मात्रा के आधार पर समान अपराध के लिए फिर से दोषी ठहराया जाता है.
1985 में केंद्र द्वारा एनडीपीएस एक्ट का अधिनियमन संयुक्त राष्ट्र की नीतियों के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में दूसरों के बीच भारत की प्रतिबद्धताओं को प्रभावी करने के लिए था. जैसा कि कन्वेंशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स, 1961 और कन्वेंशन ऑन साइकोट्रोपिक सब्सटैंस, 1971 में किया गया था. लेकिन सरकार ने यह पाया कि भारत की नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी की रोकथाम के लिए प्रतिबद्धता सम्मेलनों के लागू होने से पहले की है.
हालाकि यह बताया गया है कि भांग का उपयोग प्राचीन भारतीय ग्रंथों में दर्ज किया गया है और भारत में लाखों लोग नियमित रूप से इस पदार्थ का सेवन करते हैं. इसके अलावा देश में सभी प्रकार की भांग पर प्रतिबंध नहीं है. जैसा कि पॉलिसी पेपर बताता है.
भांग, भांग के पत्तों से तैयार एक आम मिश्रण है. यह एनडीपीएस अधिनियम के तहत कवर नहीं किया गया है. इसके उत्पादन और बिक्री की कई राज्य सरकारों द्वारा अनुमति दी गई है. एक अपवाद यह है कि भांग उसके पत्ते से तैयार की गई हो, न कि पौधे के राल और फूलों के भाग से, यह प्रतिबंधित है. हाल के सालों में उरुग्वे, कनाडा और कई अमेरिकी राज्य अब भांग के औषधीय उपयोग की अनुमति देते हैं और दुनिया भर में इसके उपयोग को वैध करने के लिए कहते हैं.