#मिट्टी बचाव अभियान ? #सद्‌गुरु (sadhguru) / #मिट्टी बचाओ / #SaveSoil

मिट्टी हमारी दुनिया और हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है जीवन के पंचतत्वों में से एक मृदा हमारे जीवन के पोषण के लिये अति आवश्यक तत्व है। मिट्टी के कारण ही हमे अन्न मिलता है और यही मिट्टी अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है l इसलिए मिट्टी का बचाव बहुत जरूरी है। इस कारण  मिट्टी बचाव अभियान शुरू किया गया है। 70 दिनों की ज़मीनी यात्रा के बाद, यूरोप और मध्य-पूर्व से होते हुए, सद्‌गुरु (sadhguru) 'मिट्टी बचाओ' (#SaveSoil) यात्रा के आखिरी हिस्से में जामनगर (Jamnagar), गुजरात (Gujarat) पहुंचे. 'मिट्टी बचाओ' सद्‌गुरु द्वारा चलाया जा रहा एक ऐसा आंदोलन है जिसका उद्देश्य है- मिट्टी के विनाश के प्रति लोगों को ठोस और जागरूक कदम उठाने के लिए प्रेरित करना. मिट्टी को बचाने की यात्रा सदगुरु ने यूनाइटेड किंगडम से भारत तक 26 देशों की 30,000 किलोमीटर की यात्रा मोटरसाइकिल से की है.

 

सेव सॉयल मूवमेंट (मृदा बचाओ आंदोलन) का मुख्य कार्य विश्व समुदाय को जागरूक करना है जिससे लोग अपने देश की सरकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित कर सकें और सभी मिलकर ह्रास होती मिट्टी की क्षमता को पुनः जीवित कर सकें। तो चलिए जानते हैं क्या है ‘सेव सॉयल मूवमेंट’,किसने की इसकी शुरुआत, Save Soil Movement से हम किस प्रकार मिट्टी के क्षय को रोक सकते है। इसके लिये हम सबकों एक मंच पर आकर सभी से इसके बचाव की अपील करके इस आंदोलन में भागीदार बनना चाहिये।

 

save soil movement in hindi

 

खेती की मिट्टी पहले ही खराब हो चुकी है ? खतरे में है मिट्टी ?

 

मिट्टी बचाओ सद्गुरु द्वारा शुरू किया गया एक वैश्विक अभियान है, जो मिट्टी के संकट को दूर करने के लिए दुनिया भर के लोगों को एकजुट कर रहा है। यह अभियान, खेती की मिट्टी में जैविक (ऑर्गेनिक) सामग्री को बढ़ाने के लिए सभी देशों के नेताओं को राष्ट्रीय नीतियां बनाने और कार्रवाई करने में मदद कर रहा है।


मिट्टी हमारे जीवन का आधार है. लेकिन खेती, जंगलों की कटाई, और दूसरी कई वजहों से ऊपरी मिट्टी बहुत तेज़ी से खराब और नष्ट हो रही है. विश्व स्तर पर, 52% खेती की भूमि पहले ही खराब हो चुकी है. धरती संकट में है. यदि मिट्टी इसी तेज़ी से ख़राब होती रही, तो इस धरती पर जीवन का अंत हो जाएगा. लगभग हर बड़ा पर्यावरण का संकट, कुछ हद तक, मिट्टी की क्वालिटी के ख़राब होने का ही एक परिणाम या लक्षण है. इसी तरह, पर्यावरण से संबंधित लगभग हर समस्या को मिट्टी को स्वस्थ बनाकर सुलझाया जा सकता है.

 

मिट्टी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

 

मिट्टी से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य हैं जिन्हें सुनकर आपको हैरानी होगी तो चलिए जानते हैं मिट्टी से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में-

मिट्टी एक जीवित तत्व होता है क्योंकि केवल एक मुट्ठी मिट्टी में 8 से 10 बिलियन जीव होते हैं। जितने इस धरती पर मनुष्य नहीं है उतने केवल एक मुट्ठी मिट्टी में जीव पाए जाते हैं। मिट्टी विश्व का सबसे बड़ा पुनर्चक्रण संयंत्र है जो दुनिया के जैविक कचरों को ब्लैक गोल्ड में बदलता है और इससे खाद बनती है। मिट्टी दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन रिजर्व है जो ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में बहुत ज्यादा लाभकारी है।

 

UN कहता है कि हम हर 5 सेकंड में एक फुटबॉल के मैदान जितनी मिट्टी खत्म कर रहे हैं। एक अच्छे न्यूट्रिशन से भरी हुई मिट्टी पानी को पकड़े रखती है और बाढ़ आने से रोकती है। मनुष्य के भांति मिट्टी ज्यादा लालची नहीं होती है वह केवल उतना ही पानी सोखती है जितने कि उसे जरूरत है। बाकी का पानी उसी मिट्टी के ऊपर नदी बनकर बहने लगता है।

 

सद्गुरु कौन है?

 

सद्गुरु जी का पूरा नाम जग्गी वासुदेव है। यह एक लेखक हैं साथ ही ईशा फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं। ईशा फाउंडेशन के द्वारा सदगुरूजी भारत, अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर इत्यादि देशों में योग सिखाते हैं। सदगुरू कई सामाजिक तथा सामुदायिक समस्याओं के विकास के लिए योजनाओं पर काम भी करते हैं। सद्गुरु जी संयुक्त राष्ट्र में आर्थिक और सामाजिक परिषद में विशेष सलाहकार के रूप में भी कार्य करते हैं। सद्गुरू ने अपील करते हुए कहा कि सभी लोग मृदा बचाओ आंदोलन (Save soil movement) में शामिल हों और इस देश में आवश्यक जागरूकता लाएं और दुनिया के बाकी हिस्सों में जागरूकता फैलाएं।

 

Sadhguru
 

 

सेव सॉयल मूवमेंट क्या है?

 

Save Soil Movement एक आंदोलन है जिसके द्वारा दुनिया के सभी लोगों को मिट्टी के बचाव के लिए जागरूक करना है। Save Soil Movement एक वैश्विक आंदोलन है जिसे ईशा फाउंडेशन के संस्थापक आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जी ने मृदा बचाओ आंदोलन (Save Soil Movement) शुरू किया है।

 

इस आंदोलन को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य भूमि क्षरण को रोकना है। Save Soil Movement की पहल 5 अप्रैल को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में ईशा फाउंडेशन द्वारा 21 मार्च को लंदन में “Journey to save soil” की शुरुआत की गई थी। इस पहल को WHO, UN, SDG lab और IUCN द्वारा स्वीकार किया गया था। ईशा फाउंडेशन ने Save Soil Movement का मुख्य कार्य विश्व के लोगों को जागरूक करना है ताकि वे लोग अपने सरकार का ध्यान ह्रास होती हुई मिट्टी के तरफ आकर्षित कर सकें और मिट्टी को बचा सके।

 

सेव सॉयल मूवमेंट (मृदा बचाओ आंदोलन) मिट्टी की क्षमता को बनाए रखने और लोगों को इसके लिए प्रेरित करने के लिए एक विश्व स्तरीय पहल है। यह 192 देशों में मिट्टी के क्षरण को रोकने के लिए नीतिगत पहलों को प्राथमिकता देगा। इस आंदोलन से 3.5 अरब ऐसे लोगों पर प्रभाव डालना है, जिनके पास मताधिकार है। यदि इस आंदोलन से वे प्रेरित हुए तो वे ऐसी सरकारें चुन सकेंगे, जो अपने देशों में इकोलॉजिकल संरक्षण को प्राथमिकता दें।

 

Save Soil Movement आंदोलन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

 

सद्गुरु कहते हैं कि दुनिया खत्म होने वाली है क्योंकि दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण तत्व मिट्टी खत्म हो रही है। UN एजेंसी का कहना है कि हमारे मिट्टी की सभी न्यूट्रिएंट्स खत्म हो रही है जिसके कारण हम 40 से 50 साल बाद किसी भी तरह का अन्न उगाने में सक्षम नहीं होंगे।

 

हमारी दुनिया की जनसंख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही हैं और आने वाले समय में यदि इसी तरह मिट्टी का क्षरण होता रहा तो 10 लोगों में से 3 लोग ऐसे होंगे जिन्हें खाना नहीं मिल पाएगा। इस कारण से सद्गुरु जी ने Save Soil Movement शुरू किया।  Save Soil Movement के माध्यम से सद्गुरु जी पूरे विश्वभर को मिट्टी के बारे में अवगत कराना चाहते हैं और मिट्टी को बचाना चाहते हैं यदि हमारी धरती पर मिट्टी बची रहेगी तो ही धरती पर इंसान जीवित रह पाएंगे।

 

मिट्टी या मृदा अनेक प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है। मिट्टी से ही पेड़ पौधे पोषित होते हैं और हमें फल, फूल, ऑक्सीजन, लकड़ी आदि दे पाते हैं। यह सभी वस्तुएं मानव और अन्य जीवों के लिए अत्यंत आवश्यक है। मिट्टी की सहायता से ही कृषि हो सकती है, जो हमारे जीवन संचालन के लिए अत्यंत आवश्यक है। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू (Sadhguru) का कहना है कि सेव सॉयल आंदोलन का उद्देश्य दुनिया भर में होते मिट्टी के खतरनाक क्षरण से विश्व को अवगत कराना तथा इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाना है। खराब होती मिट्‌टी खाद्य और जल सुरक्षा के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है। इसके अलावा जलवायु आपदा और विलुप्त होती प्रजातियां भी इसी मिट्‌टी की गुणवत्ता से जुड़ी हैं। सद्गुरु ने स्वस्थ मृदा के महत्व पर ज़ोर देते हुए बताया है कि मिट्‌टी कोई रासायनों का ढ़ेर नहीं है, यह एक जीवित जीव है।

 

 

मिट्टी के खतरनाक क्षरण से उत्पन्न संकट ?

 

1 जैविक (ऑर्गेनिक) सामग्री की कमी के कारण मिट्टी रेत में बदल रही है:

2  भोजन संकट

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3  पानी की कमी                  4  जैव-विविधता (बायोडायवर्सिटी) का नुकसान

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5 जलवायु बदलाव                    6   कमाई का नुकसान

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7   संघर्ष और अपनी ज़मीन छोड़कर कहीं और जाना

 

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Save Soil Movement के लिए सद्गुरु जी की यात्रा?

 

Save Soil Movement के संस्थापक सद्गुरु जी मिट्टी के क्षरण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 26 देशों के माध्यम से 100 दिन की मोटरसाइकिल यात्रा पर रवाना हुए है। यह यात्रा सद्गुरु जी ने 21 मार्च को शुरू की थी, जो कि 21 जून को खत्म होगी। अपने इस सफर में सद्गुरु करीब तीस हज़ार किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। सद्गुरु जी की यह यात्रा “लंदन से शुरू होकर कावेरी बेसिन” पर खत्म होगी। इस यात्रा के दौरान सदगुरूजी कई महत्वपूर्ण नेताओं से मिलेंगे और उन्हें ह्रास होती हुई मिट्टी के बारे में बताएंगे जिससे एक पॉलिसी लेवल पर मिट्टी के क्षरण को रोकने (Save Soil) और मिट्टी की उर्वरता बचाने के लिए कदम उठाया जा सके।

 

 

सद्‌गुरु मोटरसाइकिल पर, मिट्टी बचाओ के निशान और एक छोटे बच्चे के साथ

 

 

सद्गुरू (Sadhguru) की दुनिया से अपील?

 

सद्गुरु जी दुनिया से यही अपील करते हैं कि हम सभी लोग इस आंदोलन में शामिल हों और हम सभी लोग हर किसी से मिट्टी के संरक्षण के बारे में बात करें ताकि लोग मिट्टी से जुड़े तथ्यों को बारे में जान पाए। सदगुरु जी की यह अपील है कि हम इन 100 दिनों तक केवल मिट्टी के बचाव के बारे में बात करें क्योंकि यदि हम हर दिन ऐसा करेंगे तो लगभग 3 से 4 बिलियन लोग ऐसे हो जाएंगे जो मिट्टी को बचाने के लिए प्रयास करेंगे और इन 3 से 4 बिलियन लोगों की बात सरकार भी जरूर सुनेगी और अपनी तरफ से मिट्टी को बचाने के लिए सही निर्णय लेगी।

 

 

पर्यावरण तंत्र के एक पहलू को बाकी पहलूओं से अलग मानना गलत


यह सोचना वाकई एक भ्रम है कि हम अपने पर्यावरण (Environment) के किसी एक पहलू को बाकी पहलूओं से अलग मानकर, उससे जुड़ी समस्याएं सुलझा सकते हैं. क्योंकि पर्यावरण तंत्र (Environmental System ) का कोई भी पहलू दूसरे पहलूओं से अलग रहकर कार्य नहीं करता. कोई समाधान तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक हम इस बारे में जागरूक नहीं हो जाएंगे कि हर जीव आपस में जुड़ा हुआ है, सभी का जीवन आपसी एकजुटता के साथ घटित हो रहा है. कई मायनों में, मिट्टी वह मंच है जिस पर जीवन पनपता है. अगर हम मिट्टी को ठीक करते हैं, तो हमारे पास जीवन के हर पहलू को ठीक करने का सबसे अच्छा मौका होगा.

 

 

नीतियां क्यों महत्वपूर्ण हैं? मिट्टी को बचाने के लिए नीति बनाएं? नीतियां बनने के लिए लोगों का समर्थन ज़रूरी है?

 

अपनी रोम की यात्रा के बाद सद्गुरू जेनेवा गए वहां संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन को संबोधित करते हुए, सद्गुरु ने मिट्टी के विलुप्त होने के मुद्दे पर समय से तत्काल आगे आने का आह्वान किया। इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने समय व्यर्थ न करने की बात कही तथा इस मिशन में तेज़ी लाने पर ज़ोर दिया, उन्होंने ये भी कहा कि मिट्टी के विलुप्त होने से अभूतपूर्व वैश्विक उथल-पुथल का अनुमान लगाया गया है, जिसमें भोजन और पानी की कमी, गृह युद्ध, तीव्र जलवायु परिवर्तन और दुनिया भर में अनियंत्रित सामूहिक प्रवास जैसी स्तिथि शामिल हैं। मृदा बचाओ आंदोलन (Save soil movement) विश्व के सभी देशों में नागरिक समर्थन को सक्रिय करने और प्रदर्शित करने का प्रयास करता है। इससे सरकारों को इस समस्या के लिए नीति-संचालित कार्रवाई शुरू करने के लिए मजबूत करता है। लोगों का समर्थन मिलने के लिए जागरूकता ज़रूरी है l

 

 

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समाधान

 

जीवित मिट्टी, जीवन के लिए महत्वपूर्ण है. इसके लिए मिट्टी में कम से कम 3-6% जैविक (ऑर्गेनिक) सामग्री वापस लाना, भूमि को वनस्पति (पेड़-पौधों) की छाया से ढंककर, और पौधों के कूड़े और पशुओं के कचरे के माध्यम से मिट्टी की क्वालिटी को बेहतर बनाना.

 

 

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अभियान  हेतु विश्व के सहायक संगठन

 

इस अभियान को ज़बरदस्त समर्थन मिल रहा है मिट्टी की सेहत को फिर से पहले जैसा बनाने के इस लक्ष्य के लिए हजारों प्रतिष्ठित लोग और संगठन एकजुट हो रहे हैं।

 

 

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मुझे क्या कार्य करना चाहिए?

मिट्टी की आवाज़ बनें! आप जिस भी तरीके से बता सकते हैं, दुनिया को मिट्टी के बारे में बताएं ? Take the message to 4 Billion people, जो विश्व के 60% मतदाता (वोट देने वाले लोग) हैं l

 

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