Power Crisis / क्यों हो रहा बिजली संकट? क्या देश में कम हो रहा कोयला या है और कोई कारण ?

भारत फिलहाल झुलसा देने वाली गर्मी का सामना कर रहा है. पारा लगभग हर दिन पिछले दिन से अधिक दर्ज हो रहा है. साथ ही आर्थिक गतिविधियां भी तेज हो गई हैं. इनकी वजह से बिजली मांग में अप्रत्याशित उछाल आया है लेकिन कोयले की कमी एक समस्या बनकर सामने खड़ी हो गई है. वहीं कोयला सचिव ए के जैन ने मौजूदा बिजली संकट के लिए कोयले की कमी को जिम्मेदार मानने से इनकार करते हुए रविवार को कहा कि इस संकट की मुख्य वजह विभिन्न ईंधन स्रोतों से होने वाले बिजली उत्पादन में आई तीव्र गिरावट है., कोयला मंत्रालय ने कहा है कि जो राज्य कोयले की कमी की शिकायत कर रहे हैं उनके पास पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है. देश के कई राज्य बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं. एक दिन में बिजली की पीक डिमांड अप्रैल में 207.11 गीगावॉट रही थी. यह 2021 में 182 गीगावॉट और 2020 में 133 गीगावॉट थी. भारत में बिजली की मांग 4 साल के सर्वोच्च स्तर पर है.

 

 

कोयला सचिव ने गिनाए कई कारण


महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कोयले की कमी के कारण बिजली कटौती की स्थिति पैदा होने की खबरों के बीच कोयला सचिव ने अपना बचाव करने की कोशिश की. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि ताप-विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का कम स्टॉक होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं. जैन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आने के कारण बिजली की मांग बढ़ना, इस साल जल्दी गर्मी शुरू हो जाना, गैस और आयातित कोयलों की कीमतों में वृद्धि होना और तटीय ताप विद्युत संयंत्रों के बिजली उत्पादन का तेजी से गिरना जैसे कारक इसके लिए जिम्मेदार रहे हैं.

 

 

 

बिजली की मांग और आपूर्ति का बेमेल होना भी एक कारण-


जैन ने कहा, "यह कोयले का संकट न होकर बिजली की मांग और आपूर्ति का बेमेल होना है.’’ उन्होंने कहा कि देश में गैस-आधारित बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आने से यह संकट और बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि देश में कुल बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए पहले से ही कई उपाय किए जा रहे हैं. जैन ने कहा, "भारत में कुछ ताप-विद्युत संयंत्र समुद्री तट के किनारे बनाए गए थे ताकि आयातित कोयले का इस्तेमाल कर सकें. लेकिन आयातित कोयले की कीमत बढ़ने से उन संयंत्रों ने कोयला आयात कम कर दिया है." ऐसी स्थिति में तटीय ताप-विद्युत संयंत्र अब अपनी क्षमता का लगभग आधा उत्पादन ही कर रहे हैं.

 

 

रेलवे का है बड़ा योगदान


कोयला सचिव ने कहा कि दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित राज्य आयातित कोयले पर निर्भर हैं. जब इन राज्यों में स्थित घरेलू कोयला आधारित संयंत्रों को रेलवे वैगन और रेक के जरिये कोयला भेजा जाता है तो रेक को फेरा लगाने में 10 दिन से अधिक समय लगता है. इसकी वजह से अन्य राज्यों में स्थित संयंत्रों तक कोयला आपूर्ति बाधित होती है. हालांकि रेलवे ने पिछले साल से बिजली क्षेत्र की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए अन्य क्षेत्रों में रेक आपूर्ति को कम करके, पहले से कहीं अधिक कोयले की ढुलाई की है. मार्च के महीने में रेकों की अच्छी लदान हुई थी.

 

 

कोल इंडिया कर रही है अधिक उत्पादन


सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अप्रैल के पहले पखवाड़े में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 25 फीसदी अधिक कोयला उत्पादन किया है. उत्पादन बढ़ने के साथ कोयले की आपूर्ति भी 25 फीसदी बढ़ गई है. कोल इंडिया की घरेलू कोयला उत्पादन में 80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है. कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी शनिवार को कहा था कि वर्तमान में 7.250 करोड़ टन कोयला सीआईएल, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कोल वाशरीज़ के विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध है. इसके साथ ही उन्होंने ताप विद्युत संयंत्रों के पास 2.201 करोड़ टन कोयला उपलब्ध होने का भी दावा किया.

 

 

बिजली व कोयला संकट से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें

 

  • कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा कोयला उत्पादन अप्रैल 2022 में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 27.2 फीसदी और कोयला डिस्पैच 5.8 फीसदी बढ़ गया है.” मंत्रालय के अनुसार, दैनिक सप्लाई से इतर 9 दिन का अतिरिक्त कोयला उपलब्ध है.

  • कोयला मंत्रालय ने आगे कहा कि कोल इंडिया के पास वर्तमान में 56.7 मीट्रिक टन कोयले का भंडार है. दूसरी ओर, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के पास 4.3 मीट्रिक टन का स्टॉक है. वहीं, कैप्टिव कोयला ब्लॉकों में लगभग 2.3 मीट्रिक टन का स्टॉक है.

  • बयान में कहा गया है कि गुड शेड साइडिंग, वाशरी साइडिंग और बंदरगाह पर कोयले का स्टॉक लगभग 4.7 मीट्रिक टन है और यह तुरंत बिजली संयंत्रों में ले जाने के लिए तैयार है. इसके अलावा, सीआईएल साइडिंग पर लगभग 2 एमटी कोयला स्टॉक उपलब्ध है. भारतीय रेलवे इस स्टॉक को देश भर में बिजली उत्पादन कंपनियों को स्थानांतरित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

  • मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा, “सीआईएल ने राज्य/केंद्रीय बिजली निर्माता कंपनियों को 5.75 मीट्रिक टन कोयले की पेशकश की है और इसमें से 5.3 मीट्रिक टन को कंपनियों ने बुक करने पर सहमति व्यक्त की है.” सभी जेनको को सम्मिश्रण के लिए 10 प्रतिशत कोयला आयात करने की सलाह दी गई है. सूत्रों ने आंकड़ों के हवाले से बताया है कि बिजली संयंत्रों में 220.2 लाख टन कोयले का स्टॉक उपलब्ध है.

  • बिजली मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि भारत की बिजली की मांग एक दिन में सबसे अधिक शुक्रवार, 29 अप्रैल को 207.11 गीगावॉट के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई. बकौल मंत्रालय, “अधिकतम अखिल भारतीय मांग (उच्चतम आपूर्ति) आज 14:50 बजे 207111 मेगावाट तक पहुंच गई, जो अब तक का सबसे उच्च स्तर है.”

 

 

 

 

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