Hijab Controversy/ हिजाब पर विवाद

Hijab Controversy 

क्या है विवाद?


जनवरी महीने में कर्नाटक में हिजाब पर विवाद की शुरुआत उडुपी शहर से हुई थी। उडुपी शहर के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में 6 छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कक्षा में प्रवेश नहीं दिया गया था। कॉलेज प्रशासन ने इसका कारण ड्रेस में समानता को रखना बताया है। इसके बाद यह विवाद राज्य के कई जिलों में बढ़ता ही चला गया। कई संस्थानों में छात्राओं ने हिजाब पहनकर आना शुरू किया तो इसके विरोध में छात्र भगवा गमछा पहनकर आने लगे। 

 

मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने कहा कि अदालत कारणों और कानून के हिसाब से कार्य करेगी न कि किसी जुनून या भावनाओं के हिसाब से। कोर्ट ने आगे कहा कि जो संविधान कहेगा हम वही करेंगे,संविधान ही हमारे लिए भगवद्गीता है।

 

Hijab Controversy

 

 

विस्तार

 

दिसंबर 2021 के अंत और जनवरी 2022 की शुरुआत में राज्य के कई कॉलेजों में हिजाब को लेकर छात्राओं और प्रशासन के बीच विवाद बन चुकी थी, लेकिन फरवरी 2022 की शुरुआत में विवाद और तेज हो गए थे। जब एक कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कक्षाओं में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। बाद में 5 फरवरी 2022 को कर्नाटक सरकार द्वारा कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया। 8 फरवरी 2022 को कर्नाटक में मुसलमान छात्त्राओं द्वारा हिजाब पहनने के विवाद तेज हो गया, जिसके बाद राज्य सरकार ने अगले तीन दिनों के लिए हाई स्कूल और कॉलेज बंद करने की घोषणा की। कर्नाटक के कुछ कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगाने के बाद कर्नाटक के उच्च न्यायालय में भी दो याचिकाएं दायर की गई हैं।

 

राज्य में स्कूल-कॉलेज तीन दिन तक बंद

 
हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई और राज्य के विभिन्न स्थानों पर चल रहे विवाद को देखते हुए कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने राज्य के सभी हाई स्कूल और कॉलेजों को 3 दिनों के लिए बंद करने के आदेश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी दी। उन्होंने छात्रों और स्कूल-कॉलेज प्रबंधन से शांति बनाए रखने की अपील की।

 

हाईकोर्ट में पहुंचा मामला

 

कॉलेज में हिजाब पहनकर प्रवेश रोके जाने के बाद छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की। छात्राओं ने यह दलील दी कि उन्हें हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है। उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर विमेन की कई छात्राओं ने याचिका दायर कर कहा कि "हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है।" १० फरवरी को उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा कि जब तक इस विषय में निर्णय नहीं आ जाता, तब तक छात्र-छात्राएँ किसी भी प्रकार का मजहबी परिधान धारण करके विद्यालय/महाविद्यालय न आयें। ११ फरवरी को भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में त्वरित सुनवाई करने से मना कर दिया। 

 

वकीलों ने रखी दलीलें


मुस्लिम छात्राओं की ओर से दलील रखते हुए वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हिजाब पहनना मुस्लिम संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। कमात ने आगे कहा कि अगर कुछ उपद्रवी इसमें परेशानी खड़ी कर रहे हैं तो राज्य सरकार का कर्तव्य है कि छात्राओं को स्कूल सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था करे। वहीं, सरकार की ओर से मामले पर दलील रखते हुए एडवोकेट जनरल ने कहा कि राज्य में संस्थानों को छात्रों के यूनिफॉर्म पर निर्णय करने की छूट दी गई है। जो भी छात्र-छात्राएं इसमें छूट चाहते हैं, वह कॉलेज डेवलपमेट कमेटी के पास जा सकते हैं।

 

जो संविधान कहेगा, हम वही करेंगे 


मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने कहा कि अदालत कारणों और कानून के हिसाब से कार्य करेगी न कि किसी जुनून या भावनाओं के हिसाब से। कोर्ट ने आगे कहा कि जो संविधान कहेगा हम वही करेंगे,संविधान ही हमारे लिए भगवद्गीता है। कोर्ट ने कहा कि एक फैसला ही सभी याचिकाओं पर लागू होगा। 

 

सिख धर्म पर भी हुई चर्चा


कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब विवाद पर सुनवाई के दौरान सिख धर्म पर पर भी बात की गई। कोर्ट ने इस पर कहा कि सिख धर्म के मामला एक आवश्यक धार्मिक अभ्यास (ईआरपी) है। सिर्फ भारतीय हीं नहीं कनाडा और यूके की अदालतों ने भी इसे यही माना है। 

 

बढ़ रहा है विवाद

 

एक ओर हाईकोर्ट में हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई चल रही था तो वहीं दूसरी ओर राज्य के पीईएस कॉलेज में विवाद बढ़ता नजर आया। यहां एक छात्रा के हिजाब पहन कर आने के विरोध में छात्र भगवा गमछा पहन कर जय श्रीराम के नारे लगाने लगे। इसके जवाब में छात्रा ने भी अल्लाह हु अकबर के नारे लगाए। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने मामले को संभाला।  

 

प्रतिक्रिया / व्यक्तिगत प्रतिक्रिया

 

आरिफ़ मोहम्मद ख़ान - केरल के राज्यपाल श्री आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि पहले लड़कियों को जमीन में गाड़ दिया जाता था, अब उन्हें पर्दे में रखकर दबाया जाता है।मलाला युसुफ़्ज़ाई – अपने ट्वीट पर मलाला ने कहा कि हिजाब पहनने वाली लड़कियों को स्कूल में प्रवेश करने से रोकना भयानक है। उन्होंने कहा कि कम या ज्यादा कपड़े पहनने के मामले में अभी भी महिलाओं के खिलाफ आपत्ति है और भारतीय नेताओं से मांग की मुस्लिम महिलाओं को मुख्यधारा से अलग करने की प्रक्रिया को रोकना चाहिए।

पॉल पोग्बा ने शेयर किए गए एक वीडियो में लिखा है, ‘भारत में हिंदुत्व की भीड़ ने कॉलेज में मुस्लिम लड़की को हिजाब पहनने पर परेशान किया।

शाह महमूद कुरैशी - पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, "मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। किसी को भी इस मौलिक अधिकार से वंचित करना और उन्हें हिजाब पहनने के लिए आतंकित करना बिल्कुल दमनकारी है।"

 

दलीय प्रतिक्रिया

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने  'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' से अपने बयान पर कहा कि हिंदू संस्कृति महिलाओं का सम्मान करना सिखाती है और जो लोग 'जय श्री राम' के नारा लगाकर लड़की को आतंकित करने की कोशिश किए हैं, वे गलत थे।

विश्व हिंदू परिषद - नेता ने हिजाब विवाद को "जिहादी आतंकवाद को बढ़ावा देने की साजिश" करार दिया और कहा कि मुस्लिम छात्र कॉलेज परिसरों में "हिजाब जिहाद" का प्रयास कर रहे थे।

 

कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम सामने आया


पूरे विवाद पर कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश का भी बयान सामने आया है। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले में एसडीपीआई समर्थित कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम सामने आ रहा है। पूरी जानकारी जांच के बाद ही मिल सकेगी। राज्य में कानून व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। 

 

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिया बयान

 

राज्य के स्कूलों में हिजाब को लेकर मचे बवाल के बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है की सभी छात्र-छात्राओं को स्कूल-कॉलेज प्रबंधन की ओर से बनाए गए ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए। राज्य में कानून व्यवस्था बनीं रहनी चाहिए। जोशी ने आगे कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि छात्रों को भड़काने वाले ये लोग कौन हैं?

 

शिवमोगा में फहराया गया भगवा ध्वज

 

राज्य के शिवमोगा में ऐसी खबरें सामने आई थी कि राष्ट्रीय ध्वज को नीचे कर के भगवा ध्वज को ऊपर कर दिया गया था। हालांकि, पुलिस ने ऐसी घटना से इंकार किया है। जिले के एसपी बीएम लक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि पोल पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं था। पोल पर केवल भगवा ध्वज लहराया गया और लोग इसे खुद निकाल कर ले गए।  एसपी ने बताया कि पुलिस ने तीन एफआईआर दर्ज की है। इनमें से एक मामला सरकारी डिग्री कॉलेज में पत्थरबाजी की घटना पर दर्ज किया गया है। इस घटना में दो लोग घायल हुए हैं। एसपी ने आगे बताया कि पुलिस ने बेहद शांति से काम लिया है क्योंकि भीड़ में सभी छात्र थे। लेकिन अगर घटना में किसी बाहरी तत्व के होने का पता लगता है तो कड़े कदम उठाए जाएंगे। कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने भी विवाद पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 1 फरवरी तक स्थिति काबू में थी। जब कुछ राजनीतिक दलों ने मामले को बढ़ावा दिया तो समाज के दूसरे वर्ग की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई। हम छात्रों से अपील करते हैं कि कानून को अपने हाथ में न लें।

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