नागरिकता कानून / सिटिजनशिप अमेंडमेंट ऐक्ट यानी कानून प्रावधानों के तहत तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन छह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीयता नागरिकता देने की प्रक्रिया में ढील दी गई है जिन्होंने भारत में शरण ले रखी है।
नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शन की शुरुआत पूर्वोत्तर भारत के असम से हुई। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए। जामिया विश्वविद्यालय में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ सोमवार को सड़क पर सियासत के साथ छात्रों का संघर्ष जारी रहा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर धरने पर बैठीं जबकि प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विशाल पैदल मार्च निकाला। वहीं, दस से अधिक बड़े संस्थानों में प्रदर्शन हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ देश भर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को दुर्भाग्यपूर्ण एवं बेहद निराशाजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून से किसी भी भारतीय को नुकसान नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने लोगों से अफवाह फैलाने वालों से दूर रहने और निहित स्वार्थी तत्वों को समाज को बांटने नहीं देने की अपील की। लखनऊ के दारूल उलूम नदवतुल उलेमा कॉलेज में छात्र-पुलिस में झड़प हुई, ईंट-पत्थर फेंके गए, मऊ में दर्जन भर बाइकें फूंकीं, थाने में तोड़फोड़ की, धारा 144 लागू प्रदर्शन को देखते हुए यूपी सरकार ने सभी डीएम-एसपी की छुट्टियां रद्द कर दी गईं।
नागरिकता संशोधन कानून में क्या है खास? क्या है CAB और क्या है CAA
CAB And NRC: CAA (Citizenship Amendment Act) या नागिरकता संशोधन कानून पर संपूर्ण देशभर में बवाल मचा है। इसका विरोध करने वाले इसे गैर-संवैधानिक बता रहे हैं जबकि सरकार का कहना है कि इसका कोई भी प्रावधान संविधान के किसी भी हिस्से की अवहेलना नहीं करता है। वहीं, इस कानून के जरिए धर्म के आधार पर भेदभाव के आरोपों पर सरकार का कहना है कि इसका किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना नहीं है। इन उलझनों के बीच देशभर में प्रदर्शन होने लगे और कई जगहों पर इसने हिंसक रूप भी अख्तियार कर लिया था। दरअसल, कई प्रदर्शनकारियों को लगता है कि इस कानून से उनकी भारतीय नागरिकता छिन जाएगी जबकि सरकार ने कई बार कहा है कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, न कि नागरिकता छीनने के लिए। एक बड़ी आबादी को CAA और NRC में अंतर के बारे में ठीक से नहीं पता है।
एनआरसी या नैशनल सिटिजन रजिस्टर
एनआरसी या नैशनल सिटिजन रजिस्टर के जरिए भारत में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों की पहचान करने की प्रक्रिया पूरी होनी है। अभी यह प्रक्रिया सिर्फ असम में हुई और वहां एनआरसी की फाइनल सूची जारी हो चुकी है। असम में यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में पूरी हुई है। हालांकि, सरकार का कहना है कि वह पूरे देश में NRC लागू करेगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि देश में लागू होने वाली एनआरसी की रूपरेखा असम की एनआरसी के मापदंडों से अलग होगी। लेकिन एनआरसी कब लागू होगा इसकी समयसीमा तय नहीं की गई है।
-
क्या है CAA?
इस नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बुद्ध धर्मावलंबियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
-
CAA को लेकर क्यों प्रदर्शन हो रहे हैं?
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दो तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। पहला प्रदर्शन नॉर्थ ईस्ट में हो रहा है जो इस बात को लेकर है कि इस ऐक्ट को लागू करने से असम में बाहर के लोग आकर बसेंगे जिससे उनकी संस्कृति को खतरा है। वहीं नॉर्थ ईस्ट को छोड़ भारत के शेष हिस्से में इस बात को लेकर प्रदर्शन हो रहा है कि यह गैर-संवैधानिक है। प्रदर्शनकारियों के बीच अफवाह फैली है कि इस कानून से उनकी भारतीय नागरिकता छिन सकती है।
-
NRC के तहत कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स वैलिड हैं?
ध्यान रहे कि सिर्फ असम में एनआरसी लिस्ट तैयार हुई है। सरकार पूरे देश में जो एनआरसी लाने की बात कर रही है, उसके प्रावधान अभी तय नहीं हुए हैं। यह एनआरसी लाने में अभी सरकार को लंबी दूरी तय करनी पडे़गी। उसे एनआरसी का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा। फिर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद एनआरसी ऐक्ट अस्तित्व में आएगा। हालांकि, असम की एनआरसी लिस्ट में उन्हें ही जगह दी गई जिन्होंने साबित कर दिया कि वो या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आकर बस गए थे। फिलहाल सरकार कह चुकी है कि एनआरसी पूरे भारत में लागू करने की निकट भविष्य में कोई योजना नहीं है।
-
क्या CAA का भारत के मुसलमानों पर फर्क पड़ेगा?
गृह मंत्रालय यह पहले ही साफ कर चुका है कि CAA का भारत के किसी भी धर्म के किसी नागरिक से कोई लेना देना नहीं है। इसमें उन गैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत में शरण ले रखी है। कानून के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ गए इन तीन देशों के प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी।
एनआरसी (NRC) और सीएए (CAA) में अंतर
1. CAB ( Citizenship Amendment Bill ) संसद में पास होने और राष्ट्रपति की महुर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून ( CAA - Citizenship Amendment Act ) बन गया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAA के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
2. ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।
3. अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। नए कानून CAA में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी।
4. CAA में यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।
5. ओसीआई कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को मिलेगा, पर उन्हें सुना भी जाएगा।
6. नागरिकता संशोधन कानून के चलते जो विरोध की आवाज उठी उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।
7. पूर्वोत्तर में क्यों हो रहा है विरोध
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस कानून विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। इन राज्यों में इसका विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि यहां कथित तौर पर पड़ोसी राज्य बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीके से बसे हैं।
8. क्या है NRC
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 नवंबर को सदन को बताया था कि उनकी सरकार दो अलग-अलग नागरिकता संबंधित पहलुओं को लागू करने जा रही है, एक सीएए ( CAA ) और दूसरा पूरे देश में नागरिकों की गिनती जिसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या एनआरसी ( NRC ) के नाम से जाना जाता है। CAA के बारे में ऊपर बताया जा चुका है। अब जानिए NRC के बारे में -
9. नागरिकता संशोधन कानून ( CAB - Citizenship Amendment Bill) बनाने के बाद अब मोदी सरकार की नजर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स ऑफ इंडिया ( NRC ) देश भर में लागू करवाने पर है। वर्तमान में सिर्फ असम में NRC लागू है। सरकारी अवैध लोगों की पहचान के लिए पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करना चाहती है। सरकार ने कहा कि इसमें सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों को शामिल किया जाएगा। असम में एनआरसी मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है। असम में NRC की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुरू हुई थी।
असम में NRC में उन लोगों के नाम शामिल किए गए, जो 25 मार्च 1971 के पहले से असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।
10. CAA और NRC में अंतर
इन दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एनआरसी धर्म के आधार पर नहीं हुई थी। वहीं नागरिक संशोधन कानून (CAA) में गैर मुस्लिम (छह प्रमुख धर्म) के लोगों को जगह दी गई है।