क्या भीख मांगना मेहनत का काम है। दिन भर गरमी, सर्दी या बारिश में सड़क पर खड़े रहना और पूरे वक्त दयनीय बनकर अभिनय करते रहना आसान है। आप कह सकते हैं कि भिखारी की मेहनत उत्पादक नहीं है, मगर इस आधार पर देखें, तो दुनिया में ज्यादातर लोग इससे भी अनुत्पादक काम करते हैं। फाइलों का ढेर लगाने वाले सरकारी कर्मचारी या मीटिंग करने वाले अफसर कौन-सा उत्पादक काम करते हैं? वैसे मैं मेहनत को कमाई का आधार मानती हूं। आखिर उनका काम संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण का विनम्र आग्रह ही तो है।
मुझे शिकायत उन भिखारियों से है, जिनका प्रयास विनम्र नहीं होता। उन्होंने अपने काम को प्रभावशाली बनाने के लिए उसमें डकैती के तत्व भी मिला लिए हैं। ये लोग ऐसे हैं, जो कहते हैं कि बाबा, इस कटोरे में कुछ डाल दे, वरना मुझे तेरे सिर पर पिस्तौल लगानी पड़ेगी। और याद रखना देते हुए मुस्कराते रहना, वरना मैं नाराज हो जाऊंगा और फिर तेरी खैर नहीं। ये लोग अनेक स्तरों पर अनेक जगहों पर होते हैं, सरकारी दफ्तरों में, थानों में, अस्पतालों में, राजनीतिक पार्टियों में। ये मौके और हैसियत के हिसाब से पचास रुपये से पांच सौ करोड़ तक कुछ भी आपसे मांग सकते हैं। इन खाते-पीते भिखारियों से देश को मुक्ति मिल जाए, तो शायद किसी को चौराहे पर पेट की खातिर भीख न मांगनी पड़े।
कुछ लोग मानते हैं कि भिखारियों को कुछ नहीं देना चाहिए, बल्कि उन्हें मेहनत करके कमाने की शिक्षा देनी चाहिए। अगर कोई पैसा मांग रहा हो और आप उसे पैसे के बदले शिक्षा दें, तो यह कुछ ऐसा ही है कि कोई पीने को पानी मांगे और आप उसके गले में खौलता हुआ पानी उडे़ल दें। यूं कार में बैठकर किसी को मेहनत करने का उपदेश देना आसान है, दिन भर चौराहे पर भीख मांगना ज्यादा कठिन है। अब आइए इस समस्या पर विचार विमर्श करते हैं.........
भीख माँगना भारत के सबसे गंभीर सामाजिक मुद्दों में से एक है। यह एक अच्छी तरह से संगठित माफिया गिरोहों के सांठ गांठ से चलने वाला एक व्यवसाय है जो छोटे बच्चों के भोलेपन को अपने व्यवसाय को चलाने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करता है। लाखों बच्चों को अगवा कर लिया जाता है, ड्रग्स दिया जाता है, मारा पीटा जाता है और उनसे भीख मंगवाने के लिए मजबूर किया जाता है। बाल भिक्षावृत्ति कोई छोटा मुद्दा नहीं है, यह अब एक सामाजिक चिंता का रूप ले चुकी है क्योंकि लाखो बच्चे इस खतरनाक दलदल में फंसे हुए है।
हम हर दिन कई बच्चों को सड़कों पर भीख माँगते हुए देखते हैं और हम इन्हें भीख देकर इस समस्या से मुंह मोड़ लेते है। क्या हम इस समस्या को अपने देश से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं? सिर्फ पैसा कमाने के मकसद से की जाने वाली बच्चों की तस्करी और दुर्व्यवहार के आंकड़ो के बारे में सोचकर सभी को शर्म आनी चाहिए। भारत में दुनिया में सबसे अधिक संख्या में बाल भिखारी हैं और सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि यह आंकड़े तीव्र गति से बढ़ रहे है। हम में से अधिकांश इन बच्चों को कुछ पैसे देते हैं और फिर अपने कार्यो में लग जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि जब हमने उन्हें पैसे दिए तो वह माफियाओं की जेब में जाता है ना कि बच्चो के। एक तरह से हम इन माफियाओं और अपराधियों की मदद कर रहे हैं।
भीख मांगने की समस्या के समाधान पर विचार विमर्श करते हैं.....
हाल ही में हरिद्वार पुलिस और मुंबई पुलिस ने अपने राज्यों से बाल भिखारियों के उन्मूलन के लिए कई अभियान चलाए। यह देखकर इंडिया फॉर चिल्ड्रन ने एक जागरूकता अभियान “नो भीख, ओनली सीख” चलाया है। अपने इस अभियान में हमने लोगों को जागरूक करने का निर्णय लिया है कि कैसे वे बच्चों को पैसे देकर माफियाओं और अपराधियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि वे वही पैसा उन NGOs को दें जो ऐसे बच्चो के शिक्षा और पुनर्वास के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
इंडिया फॉर चिल्ड्रेन : 2017 में शुरू किया गया यह अभियान बच्चों के हित के लिए भारत का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफार्म है, जिससे 40 लाख से भी ज़्यादा लोग जुड़े है। इसका लक्ष्य है कि बच्चों के हक़ से जुड़े सभी हितधारी इस प्लेटफार्म के माध्यम से एक होकर बच्चों के लिए भारत को बेहतर बना सके।
बच्चो को भिक्षा का श्राप नहीं शिक्षा का वरदान दो.
आज से आप इन्हें भीख देना बंद करें.
बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा की जरूरत। भिक्षा देकर असहाय न बनाएं।
आप का दिया हुआ पैसा बच्चों के नहीं, बल्कि उन लोगों की जेब में जाता है, जो बच्चों से भीख मंगवाते हैं।
आपके दिए हुए पैसों से किसी बच्चे का भविष्य बनता नहीं, बल्कि बिगड़ता है। आप जैसे पैसे देते हैं इसलिए बच्चे भीख मांगने के लिए प्रेरित होते हैं। बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन अपराध है I
किशोर न्याय बालकों की देख-रेख एवं संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 76 के तहत किसी बालक लड़का व लड़की को भीख मांगने के लिए नियोजित करना या उनसे भीख मंगवाना दंडनीय अपराध है । सजा - 5 वर्ष तक का कारावास व ₹100000 जुर्माना I बच्चों से भीख मगवाते हैं तो माता-पिता, रिश्तेदार भी सजा के हकदार होंगे। ऐसे बच्चों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार ना करें। पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति की सहायता लें।
क्या आप चाहते हैं बच्चे सड़कों और चौराहों पर भीख मांगना बंद करें तो आइए इसे रोके क्योंकि बच्चों को भीख देना पुण्य का काम नहीं, आइए शपथ लेते हैं कि बच्चों को भीख देकर असहाय नहीं बल्कि शिक्षा देकर सशक्त बनाएंगे , बाल भीक्षा की रोकथाम के लिए हमें यह काम करना होगा मुख्य चौराहे ,धार्मिक व सार्वजनिक स्थलों पर बच्चा भीख मांगता दिखे तो सूचित करें:
बाल कल्याण समिति 0755-2670156
चाइल्ड लाइन 1098/0755-22771090
जिला बाल संरक्षण इकाई 0755-2530110