आतंकवाद की कोई सर्वमान्य परिभाषा सम्भव नहीं है क्योंकि अब तक आतंकवाद के अनेक स्वरूप हमारे सामने आए है। फिर भी सामान्य रूप में यह कहा जा सकता है कि कुछ व्यक्तियों के समूहों द्वारा अपने निजी स्वार्थों व मांगों को पूरा करवाने एवं अपने शिकार में भय पैदा करने के उद्देश्य से किया जाने वाला हिंसक दोहन है जिससे सभ्यता, संस्कृति व आमजन को हानि पहुंचती है, आतंकवाद एक सामाजिक, आर्थिक व नैतिक अपराध है जिसकी जननी व्यक्ति का निजी स्वार्थ, लालच व राजनीतिक मांगे होती है आतंकवादी गतिविधियां अनेक प्रकार की होती है जैसे क्रांतिकारी आतंकवाद, आधुनिक आतंकवाद, सांस्कृतिक आतंकवाद व मानसिक आतंकवाद इत्यादि
आतंकवाद की समस्या वर्तमान में ही उत्पन्न नहीं हुई है बल्कि ब्रिटिश शासन काल के दौरान भी क्रांतिकारियों ने देश को स्वतंत्रता दिलाने के उद्देश्य से आतंक फैलाया लेकिन देश की सभ्यता व संस्कृति को नष्ट होने के लिए नहीं बल्कि देश को आजादी दिला देने के उद्देश्य से, लेकिन आधुनिक आतंकवाद का स्वरूप ही बदल चुका है जो अत्यंत भयानक व अमानवीय है जो अनेक रूपों में व्याप्त है जैसे क्रांतिकारी आतंकवाद, आधुनिक आतंकवाद, सांस्कृतिक आतंकवाद व मानसिक आतंकवाद इत्यादि l आतंकवादी अपने निजी स्वार्थों व मांगों को पूरा करने के लिए सभ्यता, संस्कृति व आमजन को हानि पहुंचाने से नहीं कतराते हैंl
वर्तमान में आतंकवाद किसी एक क्षेत्र की समस्या न होकर संपूर्ण विश्व की समस्या बन चुकी है विश्व इतिहास में अनेक ऐसे काल खंड आये हैं जब तामसिकता व राक्षसी प्रवृत्ति वाले राष्ट्रों ने शांति प्रिये राष्ट्रों की सभ्यता व संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की है, विश्व स्तर पर तालीबान में ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में अलकायदा, श्रीलंका में प्रभाकरण के नेतृत्व में लिट्टे पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद का संगठन, रूस में चेच्या और अभी हाल ही में स्थापित आईएसआईएस आतंकी संगठन इत्यादि आतंकी संगठन अलकायदा द्वारा जब मैं अमेरीका के सैन्य मुख्यालय पर हमला किया गया तब संपूर्ण विश्व हिल गया कि जब आतंकवाद से अमेरिका जैसा बुनियादी शक्तिशाली राष्ट्र सुरक्षित नहीं है भारत जैसे विकासशील देश का तो कहना ही क्या ? आईएसआईएस आतंकी संगठन ने सीरिया, इराक़, ब्रिटेन, फ्रांस, केन्या सहित विश्व के सभी क्षेत्रों में आतंक फैला रखा है आईएसआईएस आतंकी संगठन द्वारा एक साथ 200 से 300 निर्दोष व्यक्तियों की निर्मम हत्या कर देता है आईएसआईएस ने संपूर्ण विश्व में हाहाकार मचा रखा है l आतंकवाद जिस प्रकार से एक अन्तरराष्ट्रीय घटना बनती जा रही है।
हिंदुस्तान भी कई सालों से आतंकवाद से लड़ रहा है आतंकवाद लोगों के द्वारा ही फैलाया जाता है और जो लोग आतंकवाद का साथ देते हैं उन्हें आतंकवादी कहा जाता है। देश में सबसे ज्यादा आतंकवाद पाकिस्तान के सीमा रेखा से ही होता है आतंकवादी कई बार हमारे देश में घुसने की कोशिश की है और ज्यादातर घुसपैठ की वजह से मारे ही गए हैं लेकिन आतंकवादी लोग बार-बार कोशिश करते रहते हैं जिसमें कभी-कभी कामयाब भी हो जाते हैं। भारत में भी अनेक आतंकी संगठनों का गठन हो चुका है जो संपूर्ण भारत में आतंक को अंजाम देते हैं जैसे बिहार में रणवीर सेना, आसाम में उल्का, जम्मू-कश्मीर में इण्डियन मुजाहिद्दीन, आंध्र प्रदेश में नक्सलवादी इत्यादि अनेक आतंकी संगठन संपूर्ण भारत में आतंक फैलाते हैं पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने 2001 में भारतीय संसद पर, , जयपुर में सीरियल ब्लास्ट, हैदराबाद के आतंकी हमले, 2008 में मुंबई के ताज होटल में आतंकवादी घुस आए थे और उन्होंने बहुत सारे लोगों को मारा, यह हमला आज भी हर एक हिंदुस्तानी को पता है जिसका डर आज भी आमजन के चेहरों पर दिखाई देता हैं आतंकवाद सरकार को भी गिराने का काम करती है जिससे देश की शांति भंग होती है।
आतंकवाद के कारणों पर अध्ययन करने पर पता चलता है कि आतंकवाद मनुष्य के मानसिक भटकाव की परिणीति है जिसके मुख्य कारण व्यक्ति का नैतिक, सामाजिक व आर्थिक शोषण व अत्याचार है जो व्यक्ति को मानवता के विरुद्ध खड़ा करके अमानवीय कार्य करवाते हैं कई सारे देश है ऐसे हैं जो आतंकवाद को पालते हैं वे लोग अपने ही देश में लोगों को आतंकवाद में जबरन जोड़ा जाता है और उनके बच्चों को आतंकवादी बनाने के लिए पकड़ लिया जाता है, और उन्हें गलत चीजें सिखाई जाती हैं जिससे वह बच्चे बड़े होकर आगे चलकर आतंकवादी बन जाते हैं। इन बच्चों के दिमाग में बचपन से ही झूठे भ्रम में रखा जाता है और इनसे मनचाहा कार्य कराया जाता है। यह बच्चे बड़े होकर भी नहीं समझ पाते हैं क्योंकि इन्हें गलत चीज इस तरह सिखाया जाता है की यह लोग बड़े होकर इन्हें खराब कार्य भी अच्छे लगते हैं। आतंकवादी जिस प्रकार की रणनीति तैयार करते हैं उसको यदि बारीकी से देखा जाए तो वह उन कारणों या कारकों के विरूद्ध रणनीति होती है जिसने कि आतंकवाद को जन्म दिया है। आतंकवाद के मुख्य कारण है :-
अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना
अल्पसंख्यक समुदाय के लोग यह महसूस करते हैं कि उनको जानबूझकर पिछड़ा अथवा सुविधाओं से वंचित रखा गया है। असुरक्षा व भेदभाव की भावनाएँ उनमें निराशा के भाव पैदा करती है। असंतुष्ट समुदाय में धर्म व सम्प्रदाय के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। असंतुष्ट वर्ग किन्हीं एक ही कारण से असन्तुष्ट हो ऐसा सदैव नहीं होता, कभी-कभी अपेक्षाकृत लाभान्वित समुदाय भी अपने को पीड़ित या उपेक्षित मान लेते हैं और उग्रवादी या हिंसात्मक तरीकों से अपने हिस्से की माँग करते हैं जैसे केन्द्र राज्य में आर्थिक सम्बन्धों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि हरित क्रांति योजनाओं में सर्वाधिक लाभान्वित राज्य पंजाब में ही 1980 के दशक में आतंकवाद पनपा। शोषण एवं अन्याय यह कहना असंगत नहीं होगा कि आतंकवाद की जड़े शोषण व अन्याय की प्रवृत्ति में निहित होती है। आतंकवाद चाहे कोई रूप ले परन्तु मूलतः वह शोषण व अन्याय के विरूद्ध प्रतिक्रिया है।
धार्मिक कट्टरता वाद
धर्म की भूमिका का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष है कट्टरपंथी गुटों का राजनीतिक प्रभाव। इन कट्टरपंथी तत्वों ने धर्म की असुरक्षा, हनन व अपने धर्म के प्रति भेदभाव के नाम पर या जेहाद के नाम पर विभिन्न धर्मावलम्बियों को आपस में लड़ाने का काम किया। इनके द्वारा फैलाये धार्मिक उन्माद ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान व बांग्लादेश धार्मिक कट्टरवाद से सबसे अधिक ग्रसित हैं।
आतंकवाद के मनोवैज्ञानिक कारण
आतंकवाद हिंसा या बदला लेने की प्रवृत्ति एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है। यह व्यक्ति के अन्दर स्वत: उपजती है और ज्यों-ज्यों कोई घटना घटित होती है तो यह भावना और प्रस्फ्रफुटित हो जाती है। इसके मूल में व्यक्ति का स्वाभिमान होता है जिसकी रक्षा अथवा जिसके प्रतिकार के बदले के रूप में व आतंकवादी प्रवृत्ति अपनाने लगता है। आतंकवादी मूल रूप से अन्याय का प्रतिकार करना चाहता है। यह अन्याय वास्तविक भी हो सकता है या काल्पनिक हो सकता है। इस्लामिक आतंकवादियों ने आतंकवाद को जेहाद का नाम दिया है। बहुत से आतंकवादी संगठन यह घोषणा करते हैं कि यदि वे आतंकवाद का रास्ता अपनायेंगे तो वे अल्लाह की सेवा करेंगे और उनके मरने के बाद उनको अल्लाह की सेवा में जीने का मौका मिलेगा। इसलिए इस धार्मिक उन्माद में डूबकर आतंकवादी हिंसक प्रवृत्ति में लिप्त होता चला जाता है। यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है।
अन्त में यह कहा जा सकता है कि आतंकवाद किसी एक कारण से जन्म जरूर ले सकता है, किन्तु समस्या तब खड़ी होती है जब प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कई छोटे-बड़े कारण जुड़ जाते हैं। अगर एक स्थापित व्यवस्था में मनुष्य को मनुष्य की तरह रहने का अधिकार मिले, उसे अपने जीवन-यापन के लिए मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हों और सबको सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर बराबर का दर्जा प्राप्त हो तो आतंकवाद का जड़ जमाना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ यह भी जरूरी है कि राजनैतिक जीवन में मंगलकारी आदर्श, पवित्रता, अनुशासन एवं कर्त्तव्यपरायणता मौजूद हो और पृथक्तावाद, व्यक्तिवाद, जातिवाद और अन्धी साम्प्रदायिकता का कोई स्थान न हो, तभी हमारा समाज आतंकवाद से असरदार तरीके से लड़ सकता है और इसके बढ़ते आकार को सीमित कर खत्म कर सकता है।
अगर हमें आतंकवाद को कम करना है इसके लिए हमें अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है और उन्हें सही और गलत का फर्क समझाना है अगर उन बच्चों का मन भारतीय आर्मी मे जुड़ने का मन है तो उन्हें किसी और चीजों के लिए मजबूर न करें उन्हें देश की सेवा के लिए आर्मी में जोड़ें और आर्मी में क्या-क्या जरूरी बातें क्या ध्यान देना होता है और भारतीय सेना में जुड़ने के लिए किन किन बातों का ध्यान देना होता है उन्हें भी बताएं। और यही बच्चे आगे चलकर भारतीय सेना में जोड़कर आतंकवाद के खिलाफ बहुत ही बड़ी लड़ाई लड़ेंगे और आतंकवाद को खत्म करेंगे। इसीलिए आतंकवाद को रोकने के लिए हमारे सेना के जवान हिंदुस्तान के सीमा पर खड़े रहते हैं जो आतंकवादियों को भारत में घुसने से रोकते हैं और उन्हें वहीं पर मार दिया जाता है ताकि हम सभी लोग अपने देश के अंदर सुरक्षित रहें। आतंकवाद को रोकने के लिए हमारी सेना के जवान और हमारी सरकार डट कर लगी हुई है इसीलिए आज के समय में भारत में आतंकवाद को कोई भी आतंकवादी अंजाम नहीं दे पा रहा लेकिन जब हमारे देश का ही कोई व्यक्ति आतंकवादियों से मिल कर अपने ही देश के साथ गद्दारी करता है तब हमारे देश को बहुत ज्यादा खतरा होता है और ऐसे ही लोगों से सबसे ज्यादा अपने देश को खतरा है।
इसी के साथ आतंकवाद को रोकने के लिये विश्व स्तर पर अनेक अंतराष्ट्रीय संगठन है UNO, इंटरपोल इत्यादि अनेक अंतराष्ट्रीय संगठन है जो विश्व स्तर पर शांति व व्यवस्था की स्थापना करते हैं अमेरिका की नोसैन्या द्वारा ओसामा बिन लादेन की हत्या कर दी गईl भारतीय संविधान में भी आतंकवाद को रोकने के लिए कानूनों के तहत सजा का प्रावधान किया गया है इन कानूनों के तहत अजमल कसाब को सजा-ए-मौत दी गई है आतंकवाद को रोकने की दिशा में कदम शुरू हो गए हैं आतंकवाद का खात्मा मुश्किल है नामुमकिन नहीं ! इसके लिए अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय संगठनों को एक साथ मिलकर आतंकवादियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करनी होगी l