2014 में नरेन्द्र मोदी जब भारत के प्रधानमन्त्री बने तो पूरा देश उनमें भारत के लिए कई संभावनाएं देख रहा था। चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध को लेकर भी देश के लोगों को काफी उम्मीद थी। नरेन्द्र मोदी ने शुरुआत में अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ संबंध बेहतर करने की दिशा में काफी प्रयास भी किए। इसी कड़ी में सितम्बर 2014 को चीन के राष्ट्रपति मोदी के निमंत्रण पर अहमदाबाद पहुंचे।जिस तरह से मोदी ने उनकी आगवानी की, उससे लगा कि दोनों देशों के बीच सम्बन्ध सुधरेगा। इस यात्रा के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा के नए मार्ग और रेलवे में सहयोग समेत 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा दोनों देशों ने क्षेत्रीय मुद्दों और चीन के औद्योगिक पार्क से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि उसी दौरान चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 1000 जवान पहाड़ी से जम्मू कश्मीर के चुमार क्षेत्र में घुस आए थे। भारत ने चीनी राष्ट्रपति के सामने यह मुद्दा उठाया लेकिन अपनी तरफ से वार्ता में कोई खलल नहीं पड़ने दिया। चीन और भारत के बीच अरबों डॉलर का व्यापार है। 2008 में चीन भारत का सबसे बड़ा बिज़नेस पार्टनर बन गया था। 2014 में चीन ने भारत में 116 बिलियन डॉलर का निवेश किया जो २०१७ में 160 बिलियन डॉलर हो गया। 2018-19 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 88 अरब डॉलर रहा। यह बात महत्वपूर्ण है कि पहली बार भारत, चीन के साथ व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर तक कम करने में सफल रहा।
चीन वर्तमान में भारतीय उत्पादों का तीसरी बड़ा निर्यात बाजार है। वहीं चीन से भारत सबसे ज्यादा आयात करता है और भारत, चीन के लिए उभरता हुआ बाज़ार है। चीन से भारत मुख्यतः इलेक्ट्रिक उपकरण, मेकेनिकल सामान, कार्बनिक रसायनों आदि का आयात करता है। वहीं भारत से चीन को मुख्य रूप से, खनिज ईंधन और कपास आदि का निर्यात किया जाता है। भारत में चीनी टेलिकॉम कंपनियाँ 1999 से ही हैं और वे काफी पैसा कमा रही हैं। इनसे भारत को भी लाभ हुआ है। भारत में चीनी मोबाइल का मार्केट भी बहुत बड़ा है। चीन दिल्ली मेट्रो में भी लगा हुआ है। दिल्ली मेट्रो में एसयूजीसी (शंघाई अर्बन ग्रुप कॉर्पोरेशन) नाम की कंपनी काम कर रही है। भारतीय सोलर मार्केट चीनी उत्पाद पर निर्भर है। इसका दो बिलियन डॉलर का व्यापार है। भारत का थर्मल पावर भी चीनियों पर ही निर्भर है। पावर सेक्टर के 70 से 80 फीसदी उत्पाद चीन से आते हैं। दवाओं के लिए कच्चे माल का आयात भी भारत चीन से ही करता है। इस मामले में भी भारत पूरी तरह से चीन पर निर्भर है।
जून 2014 में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आए और भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज से मिले। उसी महीने तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी पांच दिन के दौरे पर गए थे। जुलाई 2014 में भारतीय सेना के तत्कालीन चीफ बिक्रम सिंह तीन दिन के लिए बीजिंग दौरे पर गए थे। उसी महीने ब्राजील में हुई BRICS देशों की बैठक में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पहली मुलाकात हुई। दोनों ने करीब 80 मिनट तक बातचीत की थी। सितंबर 2014 में शी जिनपिंग भारत आए। नरेन्द्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर अहमदाबाद में उनका स्वागत किया था। चीन ने पांच साल के भीतर भारत में 20 बिलियन डॉलर से ज्यादा के निवेश का वादा किया।
फरवरी 2015 में सुषमा ने चीन की यात्रा की और वहां पर शी जिनपिंग से मिलीं। मई 2015 में प्रधानमंत्री मोदी का पहला चीन दौरा हुआ। अक्टूबर में जिनपिंग और मोदी की मुलाकात गोवा में BRICS देशों की बैठक में हुई। जून 2017 में भारत को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) का पूर्ण सदस्य बनाया गया। मोदी ने जिनपिंग से मुलाकात की और इसके लिए उनका धन्यवाद किया। 2018-19 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान, चीन और महाबलीपुरम, भारत में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक अनौपचारिक बैठक की। 2018-19 में भारत का व्यापार घाटा करीब 52 अरब डॉलर रहा। पिछले कई वर्षों से चीन के साथ लगातार छलांगे लगाकर बढ़ता हुआ व्यापार घाटा भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। चीन के बाजार तक भारत की अधिक पहुंच और अमेरिका व चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के कारण पिछले वर्ष भारत से चीन को निर्यात बढ़कर 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो वर्ष 2017-18 में 13 अरब डॉलर था। चीन से भारत का आयात भी 76 अरब डॉलर से कम होकर 70 अरब डॉलर रह गया। 27 मई, 2018 को भारत ने चीन के सॉफ्टवेयर बाजार का लाभ उठाने के लिए वहां दूसरे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) गालियारे की शुरुआत की। आईटी कंपनियों के संगठन नैसकॉम ने कहा कि चीन में दूसरे डिजिटल सहयोगपूर्ण सुयोग प्लाजा की स्थापना से चीन के बाजार में घरेलू आईटी कंपनियों की पहुंच बढ़ गयी।