आखिर क्यों अमेरिका में बढ़ते गन कल्चर का शिकार हो रहे मासूम? सबसे बड़ी वजह? क्यों खत्म नहीं हो रहा है गन कल्चर?

अमेरिका में एक फिर फायरिंग की घटना हुई है। अमेरिका के टेक्सास में मंगलवार को एक एलिमेंटरी स्कूल में 18 साल के युवक ने एके-47 राइफल से अंधाधुंध फायरिंग की और 18 बच्चों को मार डाला. इस गोलीबारी में 3 टीचर की भी मौत हो गई है. अमेरिका में इस तरह की घटनाओं के पीछे बड़ा कारण यहां का गन एक्ट है. अमेरिका के स्वतंत्र डेटा संग्रह करने वाले संगठन ‘गन वायलेंस आर्काइव’ की रिपोर्ट के मुताबिक, गन कल्चर के कारण समाज में हिंसा पर अंकुश नहीं लग पा रहा है.पिछले दिनों भी इसी तरह की घटना सामने आई थी। पुलिस अधिकारियों ने मीडिया से कहा कि उन्होंने हमलावर को मार गिराया। टेक्सास के स्कूल में हुई यह फायरिंग कनेक्टिकट के न्यूटाउन में सैंडी हुक एलिमेंट्री हाईस्कूल में 14 दिसंबर 2012 को हुई फायरिंग से मिलती-जुलती है। तब एक 20 वर्षीय युवक ने फायरिंग करके 26 लोगों की जान ले ली थी। इनमें 20 बच्चे शामिल थे।

 

पिछले कुछ महीनों में अमेरिका में हुई गोलीबारी (Firing) की घटनाओं ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. इससे पहले अप्रैल महीने में अमेरिका के सबसे लोकप्रिय शहर न्यूयॉर्क (New York) के एक रेलवे स्टेशन (Railway Station) पर हुई गोलीबारी की घटना में कम से कम 13 लोग घायल हो गए थे. कैलिफोर्निया के सैन जोस और कोलोराडो के बोल्डर में साल 2021 में भीषण गोलीबारी हुई थी. 22 मार्च, 2021 को बोल्डर के एक सुपरमार्केट में सामूहिक गोलीबारी में 10 लोगों की मौत हो गई थी. दो महीने बाद 26 मई को सैन जोस में एक ट्रांसपोर्टेशन अथॉरिटी कंट्रोल सेंटर में फायरिंग हुई और 9 लोग मारे गए. गोलीबारी करने वाले शख्स ने भी खुदकुशी कर ली थी.

 

अमेरिका में गन कल्चर बेहद आम है. हैरानी की बात यह है कि अमेरिका दुनियाभर को मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाता है लेकिन उनका पालन अपने देश में नहीं करा पाता है.हथियार रखना आम आदमी के संवैधानिक अधिकारों में शुमार है. यही वजह है कि आए दिन फायरिंग की कोई न कोई घटनाएं देखने को मिलती हैं. अमेरिका में साल 2021 में भी ऐसी ही फायरिंग की एक घटना सामने आई थी. 

 

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अमेरिका में 4 दिन का राष्ट्रीय शोक


दिल दहलाने वाली इस घटना के बाद अमेरिका में 4 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन अमेरिका में हो रहीं गोलीबारी की घटनाओं पर देश को अपना संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह आत्मा की चीर देने जैसा है। यह समय एक्शन लेने का है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस  ने कहा कि अब बहुत हो गया है। हमें कार्रवाई करने की हिम्मत रखनी होगी। बाइडेन जापान में आयोजित क्वॉड समिट से अमेरिका लौटे हैं। उन्हें घटना के बारें में बताया गया। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि हमलावर युवाल्डे में ही एक हाईस्कूल का छात्र था। हत्यारे का एक फोटो भी सामने आया है। हमलावर अपने व्हीकल से स्कूल पहुंचा था। उसके पास एक हैंडगन और एक राइफल थी। टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट के मुताबिक हमलावर की पहचान सल्वाडोर रामोस के तौर पर हुई है। हमलावर युवाल्डे का ही रहने वाला था। पुलिस को एक और चौंकाने वाली जानकारी मिली है। स्कूल में फायरिंग से पहले वो अपनी दादी को शूट कर चुका था।

 

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जानिए घटनाक्रम से संबंधित कुछ अन्य बातें


सैन एंटोनियो में यूनिवर्सिटी हेल्थ ने कहा था कि वह शूटिंग से जुड़े दो घायलों की देखभाल कर रहा है। 66 वर्षीय महिला और 10 वर्षीय बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है। ह्यूस्टन के पुलिस प्रमुख ट्रॉय फिनर(Houston Police Chief Troy Finner) ने ट्विटर पर लिखा कि वह दुखी हैं और उवाल्डे में घायल और मारे गए लोगों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। 2020 की जनगणना के अनुसार, उवाल्डे में जहां मंगलवार को स्कूल में गोलीबारी हुई, वहां 16,000 लोग रहते हैं। इनकी लगभग 80 प्रतिशत आबादी हिस्पैनिक(Hispanic) है। हिस्पैनिक उन लोगों के लिए कहा जाता है, जो स्पैनिश बोलते हैं या जिनकी स्पैनिश भाषी देश में पृष्ठभूमि है। सैन एंटोनियो से 90 मिनट और मैक्सिकन सीमा से एक घंटे की दूरी पर स्थित है यह शहर।

 

क्या कहते हैं अमेरिका में हिंसा के आंकड़े / बेहद आम है अमेरिका में हिंसा की घटनाएं



अमेरिका में हर साल हत्या और फायरिंग की बड़ी घटनाएं सामने आती हैं. वजह अमेरिका का हथियारों के प्रति उदार रवैया है. अमेरिका में हथियार रखने के कानून बेहद आसान हैं. किसी भी शख्स को हथियार रखने की इजाजत मिली हुई है. हर साल फायरिंग से जुड़े मामलों में हजारों लोगों की जान जाती है. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के आंकड़े यही कहते हैं.



2019 के दौरान अमेरिका में हत्या के कुल 14,400 मामले सामने आए थे. इससे पहले 1993 में 18,253 लोगों की मौत बंदूक से जुड़े अपराधों की वजह से हुई थी. 2020 के दौरान अमेरिका में होने वाली 79 फीसदी हत्याएं बंदूक से की गई हैं. यह साल 1968 के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. पेव रिसर्च सेंटर के मुताबिक 2020 में ऐसे मामलों में 34 फीसदी इजाफा हुआ है. बीते 5 साल में 49 फीसदी हथियारों से संबंधित घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं 75 फीसदी घटनाएं 10 साल के भीतर बढ़ी हैं. साल 2020 तक उपलब्ध सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ शूटिंग या फायरिंग की वजह से 45,222 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं. 43 फीसदी लोगों की मौत बंदूक से की गई फायरिंग की वजह हुई है. 19,384 लोगों की मौत हथियारों की वजह से हुई है.

 

अमेरिका में बेहद आसान है हथियार का व्यापार.

 

साल 2020 के दौरान प्रति 1,00,000 लोगों में 13.6 लोगों की मौत बंदूक की वजह से हुई है. 1990 के दशक के बाद यह सबसे बड़ा आंकड़ा है. मास फायरिंग की घटनाओं को ट्रैक कर पाना मुश्किल होता है. अमेरिका में बंदूक की वजह से हुई हिंसा की घटनाएं बेहद ज्यादा हैं. अमेरिका के एक ऑनलाइन डेटा बेस 'गन वायलेंस आर्काइव' के मुताबिक 2020 में सामूहिक गोलीबारियों में करीब 513 लोग मारे गए हैं. 

 

टेक्सास में ज्यादातर होते हैं हमले:


2016 में टेक्सास के अल्पाइन स्कूल में भी इसी तरह की गोलीबारी हुई थी. इसमें एक स्कूली छात्रा की मौत हो गई थी. इसके बाद 2018 में ऐसी ही वारदात हुई. यहां टेक्सास के सेंट फे स्कूल में 17 साल के हमलावर ने बच्चों पर गोली चला दी, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद पिछले साल 2021 में भी टिम्बरव्यू स्कूल में गोलीबारी हुई. हालांकि, किसी की मौत नहीं हुई. कई लोग घायल जरूर हुए थे.

 

2012- न्यू टाउन के सैंडी हुक स्कूल में फायरिंग में 26 लोगों की मौत 

2016- टेक्सास के अल्‍पाइन स्‍कूल में फायरिंग में एक छात्रा की मौत

2018- टेक्सस के सैंट फे स्कूल में फायरिंग में 10 लोगों की मौत

2021-टेक्सास के टिम्बरव्यू स्कूल में फायरिंग में कई लोग घायल 


अमेरिका के स्वतंत्र डेटा संग्रह करने वाले संगठन ‘गन वायलेंस आर्काइव’ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में अब तक चार महीने में 212 सामूहिक गोलीबारी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इसके अलावा अमेरिका में 2021 में 693 सामूहिक गोलीबारी की घटनाएं हुई. 2022 में 611 जगह गोलीबारी हुई तो 2019 में 417 जगहों पर ऐसी ही वारदात को अंजाम दिया गया.

 

गन कल्चर की सबसे बड़ी वजहः

 

1   सस्ते हथियारों से बढ़ रहा गन कल्चर 


5 साल पहले अमेरिका में एक सर्वे हुआ था, जिसमें सामने आया कि वहां के करीब 40 फीसदी लोगों के पास गन (बंदूक) है। इसके अलावा अमेरिकी कानून के मुताबिक, वहां हथियार खरीदना दूसरे मुल्कों की तुलना में बेहद सस्ता है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स का मानना है कि हथियार के लाइसेंस देने से पहले उसे रखने वाले की हिस्ट्री और बैकग्राउंड चेक करना बेहद जरूरी है। इससे काफी हद तक फायरिंग के मामलों को रोका जा सकता है। 

 

2    18 साल की उम्र से पहले बंदूक खरीदने की छूट :

 
अमेरिका में भले ही 21 साल से पहले शराब खरीदना गैरकानूनी हो, लेकिन 18 साल की उम्र से पहले बंदूक और राइफल खरीदने की छूट है। यहां तक कि मिलिट्री वाली राइफल खरीदने के लिए कोई ठोस कानून नहीं है। इससे अमेरिका के युवा मनमाने ढंग से इन खतरनाक हथियारों को आसानी से खरीदते हैं और बाद में पर्सनल दुश्मनी या मानसिक अवसाद के चलते यही हथियार लोगों की जान ले लेते हैं।  

 

3     कम उम्र में बच्चों को मनमानी आजादी :


विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका में बढ़ता गन कल्चर इस तरह की मास किलिंग का प्रमुख कारण है। लेकिन, सस्ते में और आसानी से मिल रहे जानलेवा हथियार ही इसकी वजह नहीं हैं। अमेरिका में बढ़ता ओपन कल्चर भी इसकी एक बड़ी वजह है। वहां बच्चे कम उम्र में ही मनमानी तरीके से जीने लगते हैं। फ्रीडम के नाम पर वो परिवार से अलग रहते हैं, अपने फैसले खुद करने लगते हैं। इससे कई बार मानसिक अवसाद बढ़ता है। उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में युवा कई बार इस तरह के कदम उठाते हैं।

 

4    गन कल्चर बना अमेरिकी रहन-सहन का हिस्सा :

 
अमेरिका में कभी ब्रिटिश सत्ता थी। अमेरिका के लोगों ने बंदूक के दम पर ब्रिटिश शासन से लड़कर अपने देश को आजाद कराया। हालांकि, बंदूक से मिली आजादी को देखते हुए वहां की सरकारों ने लोगों को हथियार रखने की छूट दे दी। धीरे-धीरे वक्त के साथ गन कल्चर (हथियार रखना) अमेरिकी रहन-सहन का हिस्सा बन गया। यहां तक कि इसके लिए कोई सख्त कानून भी नहीं है, जिसके चलते अब इसका दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। 

 

5     231 साल के बाद भी नहीं बदला कानून / गन कल्चर है अमेरिका की असली दिक्कत:

 
बता दें कि 1783 में अमेरिका को ब्रिटेन से आजादी मिली। इसके बाद अमेरिका में संविधान बना, साल 1791 में अमेरिका के संविधान में दूसरा संशोधन लागू हुआ था . इसके तहत अमेरिकी नागरिकों को हथियार रखने के अधिकार दिए गए थे. 1791 में उसी के तहत अमेरिका के लोगों को हथियार रखने का अधिकार मिला। अमेरिका में गन कल्चर से संबंधित हिंसा के मामले बहुत आम हैं. जिस तरह भारत में लोग आसानी से मोबाइल और सिम खरीदते हैं, अमेरिका में कपड़े की तरह हथियारों की शॉपिंग की जा सकती है. अमेरिका में बंदूकों का व्यापार भी बेहद फल-फूल रहा है. उसी तरह अमेरिका में लोग हथियार खरीद लेते हैं। लेकिन इस गल कच्लर की कीमत अमेरिका अब भुगत रहा है। अमेरिका अपनी आजादी के 231 साल बाद भी इस कानून को नहीं बदल पाया है।  अमेरिका में दशकों तक गन कल्चर की वजह से लाखों लोगों ने अपनी जानें गंवाई और इन मौतों का बोझ अमेरिका की संसद पर समय के साथ बढ़ता चला गया.

 

अमेरिका में नहीं थम रही हैं हिंसा की घटनाएं.

 

बाइडन बोले- बंदूक रखने के कानून में करेंगे बदलाव

 

हमारे देश में गन खरीदने के लिए आर्म्स लाइसेंस की जरूरत पड़ती है, मगर अमेरिकी कानून के अनुसार बंदूक के पार्ट्स को बिना किसी लाइसेंस के ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है. अपराधी तो छोड़िये… यहां तक कि बच्चे भी ऑनलाइन ऑर्डर देकर बंदूक के कलपुर्जों को मंगवा रहे हैं. घर में ही बंदूकों को असेम्बल कर लिया जा रहा है. ‘गन वायलेंस आर्काइव’ की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चुनाव के दौरान गन कल्चर पर रोक का वादा किया था, लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की जा सकी है. ऑनलाइन साइट पर गन के पार्ट्स की खरीद पहले की तरह ही जारी है. द गन कंट्रोल एक्ट 1968 (GCA) के मुताबिक, राइफल या कोई भी छोटा हथियार खरीदने के लिए उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. दूसरे हथियार मसलन हैंडगन खरीदने के लिए 21 साल की उम्र होनी चाहिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 33 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में आम नागरिकों के पास 39 करोड़ हथियार हैं.

 

 

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इस घटना को अमेरिका ने चुनौती के तौर पर लिया है। मंगलवार रात व्हाइट हाउस से देश को संबोधित करते हुए जो बाइडेन(Joe Biden) ने कहा, "एक 18 वर्षीय बच्चा बंदूक की दुकान में घुस सकता है और हथियार खरीद सकता है, यह गलत है। हम इस नरसंहार के साथ जीने को तैयार क्यों हैं? हम ऐसा क्यों होने देते रहते हैं? भगवान के नाम पर हमारी रीढ़ कहां है?"

 

घोस्ट गन से किए गए अपराधों की संख्या ज्यादा


अलग पार्ट्स को मिलाकर असेंबल किए जाने के कारण ऐसे हथियारों का कोई सीरियल नंबर भी नहीं होता है. ऐसे में इन बंदूकों का पता नहीं किया जा सकता है कि इनका मालिक कौन है. इस प्रकार से असेम्बल कर बनाई गई बंदूकों को घोस्ट गन कहा जाता है. यानी इन्हें किसी भी प्रकार से ट्रैक नहीं किया जा सकता है. क्राइम सीन पर पाए जाने वाले वाले हथियारों में से 50 फीसदी तक ये अवैध हथियार ही होते हैं. पुलिस ने 25 हजार ऐसी बंदूकों को जब्त किया है.

 

 

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